सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बेला एम. त्रिवेदी ने मंगलवार को 2002 के गुजरात दंगों में सामूहिक बलात्कार के दोषी 11 लोगों की रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। यह मामला जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला त्रिवेदी की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था।
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याचिका में बानो ने कहा कि सभी दोषियों की रिहाई सदमे की तरह है। अधिवक्ता शोभा गुप्ता के माध्यम से दायर बिलकिस की याचिका में कहा गया है, सभी दोषियों की समय से पहले रिहाई न केवल याचिकाकर्ता, उसकी बेटियों, उसके परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक झटके के रूप में आई। दोषियों की रिहाई पर सभी वर्ग के लोगों ने गुस्सा जताया व निराशा जताया था।
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रिहाई के आदेश को यांत्रिक करार देते हुए याचिका में कहा गया है कि दोषियों की समय से पहले रिहाई ने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है।
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बिलकिस बानो ने कहा कि वह दोषियों की अचानक रिहाई से निराश व परेशान हैं। दोषियों ने उनके साथ चरम स्तर की क्रूरता की थी।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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