आज सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका और कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई होगी, जिसमें गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों को छूट देने के फैसले को चुनौती दी गई, जिन्हें 2002 के गुजरात दंगे में बानो के परिवार के सदस्यों के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
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इससे पहले जिन दोषियों को नोटिस नहीं दिया जा सका था, उस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को दोषियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था। इसने गुजराती और अंग्रेजी सहित स्थानीय समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
2 मई को केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफ करने के संबंध में दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा नहीं करेंगे, और दस्तावेजों को शीर्ष अदालत के साथ साझा करने पर सहमत हुए थे।
मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी, क्योकि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।
11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं का एक समूह दायर किया गया है, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका भी शामिल है।
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