गुजरात हाईकोर्ट ने बिलकिस बानों केस में सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दाखिल की है। याचिका में गुजरात सरकार से मांग की गई है कि बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई के समय प्रदेश सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा जो टिप्पणियां की गई थीं उन्हें हटाया जाए। याचिका में राज्य सरकार ने कहा कि फैसले में उसके खिलाफ की गई टिप्पणियां नुकसानदायक हैं। राज्य सरकार ने कहा है कि उसने मई 2022 के फैसले के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, ही काम किया था।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने 8 जनवरी को बिलकिस बानो की अर्जी पर हत्या और रेप मामले में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों को रिहाई के 17 महीने बाद वापस जेल भेजने का फैसला दिया था। अपने फैसले में पीठ ने गुजरात की बीजेपी सरकार द्वारा समय से पहले दोषियों की रिहाई के आदेश को रद्द करते हुए कहा था कि बिलकिस बानो मामले में राज्य ने दोषियों के साथ मिलकर काम किया।
Published: undefined
गुजरात सरकार ने अब इन्हीं टिप्पणियों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट समीक्षा याचिका दाखिल की है। राज्य सरकार का कहना है कि ऐसी टिप्पणियों पूर्वाग्रह पैदा करती हैं। सरकार का फैसला शक्ति का दुरुपयोग नहीं था।
Published: undefined
इससे पहले बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों ने 21 जनवरी को देर रात गोधरा जेल के अधिकारियों के समक्ष सरेंडर किया था। सरेंडर करने वाले सभी 11 दोषी दो वाहनों में सवार होकर दाहोद जिले के सिंगवाड से गोधरा उप-जेल पहुंचे थे। 11 दोषियों में जसवंत नई, गोविंद नई, केसर वोहनिया, बाका वोहनिया, राजू सोनी, राधेश्याम शाह, रमेश चंदना, शैलेश भट्ट, बिपिन जोशी, प्रदीप मोधिया और मितेश भट्ट शामिल थे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस से गैंगरेप के दोषियों को समय से पहले रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। साथ ही कोर्ट ने सभी दोषियों को दो हफ्ते के अंदर यानी 21 जनवरी तक सरेंडर करने का आदेश दिया था।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined