सामाजिक, महिला और मानवाधिकार सक्रियतावादियों समेत 6 हजार से अधिक नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि बिलकीस बानो मामले में बलात्कार और हत्या के लिए दोषी करार दिये गए 11 व्यक्तियों की सजा माफ करने के निर्णय को रद्द किया जाए।
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एक संयुक्त बयान में कहा गया, “सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी 11 लोगों की सजा माफ करने से उन प्रत्येक बलात्कार पीड़िता पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ेगा जिन्हें न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने, न्याय की मांग करने और विश्वास करने को कहा गया है।” बयान जारी करने वालों में सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचना मुद्राबाईना, शबनम हाशमी और अन्य शामिल हैं।
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बयान में कहा गया है कि, 15 अगस्त 2022 की सुबह , 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने महिला अधिकार, गौरव और नारी-शक्ति के बारे में बात की। उसी दिन दोपहर में ‘बिलकिस बानो’, एक महिला जो उसी ‘नारी - शक्ति ’ की मिसाल के रुप में पिछले 17 साल से न्याय की लम्बी लड़ाई लड़ रही है, को पता चलता है कि वे लोग जिन्होंने उसके परिवार के लोगों को मार डाला, उसकी 3 साल की मासमू बच्ची का कत्ल किया, उसके साथ सामहिूक बलात्कार किया और फिर उसे मरने के लिए छोड़ दिया, वो सभी जेल से बाहर आ गए हैं और आज़ाद हो गए हैं। किसी ने उससे उसके विचार नहीं पूछा या उसकी सुरक्षा के बारे में जानने की कोशिश नहीं की। किसी ने उसे नोटिस भी नहीं भेजा, किसी ने नहीं पूछा कि एक सामहिूक बलात्कार की पीड़ा से निकली महिला को अपने बलात्कारियों की रिहाई के बारे में सुनकर कैसा महसूस हुआ।
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बिलकिस ने हमेशा कहा है कि न्याय के लिए उसकी लड़ाई केवल उसकी अकेले की लड़ाई नहीं है बल्कि सभी महिलाओं की लड़ाई है जो न्याय के लिए लड़ रही हैं, और इसलिए 15 अगस्त को भारत में हर एक संघर्षील बलात्कार पीड़िता को एक बड़ा झटका लगा है। यह हमारे लिए बहुत ही शर्म के बात है कि जिस दिन हम भारतवासियों को अपनी आज़ादी की ख़ुशी मनानी चाहिए और अपनी स्वतंत्रता पर नाज़ करना चाहिए, उसी दिन भारत की महिला अपने साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या करने वाले दोषियों को देश के काननू द्वारा बरी कर दिए जाने की साक्षी बनी। काननू द्वारा उन सभी 11 सामहिूक बलात्कार के दोषियों को छोड़ देने का आदेश उन सभी बलात्कार सेपीड़ित महिलाओं को सन्न कर देने वाला होगा जिन्हें यह कहा जाता है कि “देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा रखो......न्याय की मांग करो... विश्वास रखो’’। इन कातिलों/बलात्कारियों का सज़ा पूरी किए बिना, जल्दी छूटना इस बात को पुनः स्थापित और पुख्ता करता है कि वे सभी आदमी जो महिलाओं के साथ बलात्कार या अन्य किसी तरह की हिंसा करते है वे आसानी से दण्ड मुक्त हो सकते हैं। इस संदर्भ में यह और भी ज़रुरी है के इस रिहाई को निरस्त किया जाए।
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बयान में कहा गया, “हम मांग करते हैं कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के विश्वास को बहाल किया जाए। हम इन 11 दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को तत्काल वापस लेने और उन्हें सुनाई गई उम्र कैद की सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने की मांग करते हैं।”
बयान में कहा गया है कि देश के काननू का उल्लंघन कर 11 कातिलों और सामहिूक बलात्कार करने वालों की रिहाई में मदद करने वालों से हम यह कहते हैंः आपने देश की हर महिला को कमतर महसूस कराया है। इससे हिंसा के खतरे जिससे हम और अधिक असुरक्षित और डरे हुए हैं। आपने भारत की महिलाओं का न्याय व्यवस्था में विश्वास और कमज़ोर किया है।
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बयान जारी करने वालों में सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचना मुद्राबाईना, शबनम हाशमी और अन्य शामिल हैं। नागरिक अधिकार संगठनों में सहेली वूमन्स रिसोर्स सेंटर, गमन महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन, उत्तराखंड महिला मंच और अन्य संगठन शामिल हैं।
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