मृतकों के परिजनों ने हालांकि दावा किया है कि उनके बच्चों की मौत एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी बुखार) के कारण हुई है, लेकिन जिला प्रशासन ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञ मौत के सही कारण का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। दिमागी बुखार को स्थानीय स्तर पर "चमकी बुखार" भी कहा जाता है।
अधिकारियों के अनुसार मृतकों की पहचान रौनक कुमार (4), अंकुश कुमार (2 महीने) और गौरी कुमार (7) के रूप में हुई है।
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रौनक कुमार की मौत शनिवार को हुई, जबकि अंकुश कुमार और गौरी कुमार की मौत क्रमशः रविवार और सोमवार को हुई। ग्रामीणों ने दावा किया कि रहस्यमयी बुखार से पीड़ित कई बच्चों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अररिया की जिलाधिकारी (डीएम) इनायत खान ने कहा, "पिछले तीन दिन में रानीगंज गांव में तीन बच्चों की मौत हुई है। परिवार के सदस्यों ने कहा है कि बच्चे खांसी-जुकाम और निमोनिया जैसे लक्षणों से पीड़ित थे। स्थिति का विश्लेषण करने और खांसी-जुकाम और निमोनिया जैसे लक्षणों से पीड़ित अन्य मरीजों का पता लगाने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम गांव में भेजी गई है।"
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उन्होंने कहा कि सिविल सर्जन स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने कहा, "बच्चों की मौत के सही कारण का पता नहीं चल पाया है क्योंकि परिवार के सदस्यों ने पहले ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया। गांव के तीन और बच्चे निमोनिया जैसे लक्षणों से पीड़ित हैं, जिन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टर लगातार उनकी स्थिति पर नजर रख रहे हैं। हम स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं और बच्चों की मौत का कारण का पता चिकित्सा विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने के बाद ही चल पाएगा।"
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