राजधानी पटना के पुलिस लाइन में बीते शुक्रवार को एक ट्रेनी महिला सिपाही की मौत के बाद उपद्रव और हिंसा मामले में बिहार पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 167 ट्रेनी कांस्टेबल सहित 175 सिपाहियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। इसके साथ ही 23 हवलदारों को निलंबित भी किया गया है। जिन 23 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है, उनमें से 3 ट्रेनी कांस्टेबल सविता को बीमार होने के बावजूद छुट्टी नहीं देने के दोषी पाए गए हैं। बाकी 20 या तो ड्यूटी पर गैरहाजिर थे या उन्होंने घटना के दिन उपद्रवियों को रोकने की कोशिश नहीं की। पटना प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) नैयर हसनैन खान, एसएसपी मनु महाराज और अन्य पुलिस अधिकारियों ने इस मामले में दर्ज चार केसों की समीक्षा के बाद बर्खास्तगी का आदेश दिया है।
पटना के आईजी नैयर हसनैन खान ने इसकी पुष्टी करते हुए बताया, “साक्ष्य के आधार पर 167 ट्रेनी कांस्टेबल और 8 सिपाही बर्खास्त किए गए हैं। उपद्रव मामले में अभी कई पहलुओं पर जांच जारी है। अगले दो से तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।” उन्होंने कहा कि उपद्रव के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
इसके अलावा पटना प्रक्षेत्र में वर्षों से पदस्थापित 93 पुलिसकर्मियों की पहचान कर उन्हें पटना से स्थनांतरित करने का भी आदेश दिया गया है। इसमें 20 से ज्यादा पुलिस अधिकारी बताए जा रहे हैं। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज ने कहा कि अनुशासनहीनता के मामले में यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस लाइन में हुआ उपद्रव कतई बर्दाश्त करने लायक नहीं था। उन्होंने बताया कि अभी मामले की जांच जारी है और हिंसा में शामिल कई लोगों की पहचान की जा रही है। उन्होंने बताया कि उपद्रव में शामिल ट्रेनी पुलिसकर्मियो के खिलाफ थाने में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई गई है।
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गौरतलब है कि 2 नवंबर को सीवान की रहने वाली ट्रेनी महिला कांस्टेबल सविता कुमारी पाठक की मौत के बाद सिपाहियों ने पुलिस लाइन में उपद्रव किया था। उपद्रवी ट्रेनी सिपाहियों ने इस दौरान कई पुलिस अधिकारियों पर जानलेवा हमला करने के साथ ही कई सरकारी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। उपद्रवियों ने इस दौरान पुलिस लाइन डीएसपी को पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था और उनके घर पर हमला कर दिया था, जिसमें परिवार को भी गंभीर चोटें आई थीं।
इसके बाद उन्मादी पुलिसकर्मी कानून को हाथ में लेकर सड़कों पर उतर आए और आगजनी कर पुलिस लाइन के बाहर की दुकानों को जबरदस्ती बंद करवाया और वहां से गुजर रहे लोगों की पिटाई करने लगे। इस दौरान मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया गया था। हंगामा करने में कई महिला पुलिसकर्मी भी शामिल थीं।
सिपाहियों ने इस कदर तांडव मचा रखा था कि सूचना पाकर मौके पर पहुंचे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज भी पुलिस लाइन में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं कर पाए। बाद में एसटीएफ, एटीएस और बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) के जवानों के आने पर तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने हवाई फायरिंग करते हुए पुलिस लाइन में प्रवेश किया और स्थिति को नियंत्रण में किया।
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