बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में नगर निगम ने कार्रवाई शुरू कर दी है। नगर निगम ने शेल्टर होम के सामान की जब्ती सूची तैयार करने और खाली कमरों की वीडियोग्राफी कराने के साथ ही इस भवन को तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की इमारत को गिराने में दखल देने से सोमवार को इनकार कर दिया। बता दें कि इसी शेल्टर होम में 34 लड़कियों के साथ यौन शोषण किए जाने का मामला सामने आया था, जिसकी जांच सीबीआई कर रही है।
सोमवार को भवन को तोड़ कर हटाए जाने को लेकर सीबीआई अधिकारियों ने दिन भर मंथन किया। फिर शाम करीब 4 बजे शेल्टर होम की चाबी नगर निगम को सौंप दी। इसके बाद मजिस्ट्रेट सुजीत कुमार हरिहर और जनार्दन प्रसाद की मौजूदगी में भवन को खाली कराया गया। निगम के कर्मचारियों ने शेल्टर होम से लोहे की टेबल, 12 कुर्सियां, लोहे के 10 बेड, 2 कैरम बोर्ड, 10 गद्दे और टीन का बक्सा जब्त किया।
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एमएमसी ने इस भवन के निर्माण में पारित किए गए नक्शे का उल्लंघन किए जाने पर इसे ध्वस्त करने का आदेश पिछले 12 नवंबर को दिया था। नगर आयुक्त संजय दुबे ने बताया, ‘‘शहर के साहू रोड स्थित भवन को ध्वस्त करने के लिए निगम ने यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की मां को एक महीने की मोहलत दी थी। इसके खत्म होने के बाद यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।”
बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर हैं और ये शेल्टर होम उनकी मां मनोरमा देवी के नाम से है। इस बिल्डिंग को प्रावधानों के खिलाफ जाकर बनाया गया है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई थी।
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