बिहार में कोरोना से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है। ऑक्सीजन, दवा के अभाव में संक्रमितों के मौत की खबरें लगातार आ रही हैं। ऐसे में बिहार के बेगूसराय में एक भाई ने अपनी बहन की कोरोना से हुई मौत को देखकर इतना द्रवित हुआ कि उसने अपने स्कूल में ही 30 बेड का ऑसीजन कोविड केयर सेंटर खोल दिया। जिला प्रशासन ने भी वहां शिफ्टों में डॉक्टर, नर्स की प्रतिनियुक्ति कर दी है।
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बेगूसराय के रहने वाले पंकज कुमार सिंह की बहन सुमन ठाकुर की मौत 27 अप्रैल को कोरोना से हो गई। पंकज बताते हैं कि उनकी बहन 24 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हुई थी और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस दौरान पंकज को भी अस्पताल में अपनी बहन के देखरेख में रहना पड़ा। पंकज बताते हैं, ''इस दौरान अस्पतालों में आने वाले मरीजों का बेड नहीं, ऑक्सीजन नहीं, दवा नहीं जैसी समस्याओं से रूबरू होना अपनी आंखों से देखा। लोग ऑक्सीजन के अभाव में असमय काल की गाल में समा रहे हैं।''
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इसी बीच, उनकी बहन सुमन ठाकुर ने भी 27 अप्रैल को अपनी अंतिम सांस ली। अस्पताल में मरीजों का हाल देखकर पंकज का मन विचलित था और उन्होंने अपने कालीस्थान, बेगूसराय में स्थित स्कूल भवन में अस्पताल खोलने का निर्णय ले लिया। पंकज कहते हैं, ''मैं अपनी बहन को अब लौटा तो नहीं सकता हूं, लेकिन कई बहनों की जान बचा तो बचा ही सकता हूं। वही कर रहा हूं।''
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इस निर्णय के बाद उन्होंने जिलाधिकारी से मुलाकात की और अपनी इच्च्छा बताई। पंकज के निर्णय का जिलाधिकारी ने भी स्वागत किया। पंकज ने बिना किसी देरी के अस्पताल के लिए आवष्यक वस्तुओं का प्रबंध किया और अस्पताल खुल गया। पंकज बताते हैं कि इस सेंटर में ऑक्सीजनयुक्त 30 बेड हैं। सात मई से यह अस्पताल कार्य करने लगा है, जबकि नौ मई को इस अस्पताल का विधिवत उद्घाटन उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने किया। इस मौके पर सांसद राकेश सिन्हा भी उपस्थित थे।
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इधर, स्कूल प्रबंधक के निवेदन पर जिला प्रशासन ने स्कूल में बने कोविड-19 अस्पताल में डॉक्टर और नर्स की प्रतिनियुक्ति भी कर दी है। जिलाधिकारी अरविंद कुमार वर्मा ने भी इस पहल को सराहनीय बताया है। फिलहाल जिला प्रशासन द्वारा 3 शिफ्टों में 1 डॉक्टर और 2 नर्स की प्रतिनियुक्ति की गई है। जहां मरीजों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। इस अस्पताल में ऑक्सीजन और मरीजों पर होने वाला खर्च स्कूल प्रबंधन ही कर रहा है।
पंकज कहते हैं कि यहां आने वाले मरीजों की मुफ्त सेवा दी जा रही है। मरीजों से एक पैसा नहीं लिया जा रहा है।
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