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सुप्रीम कोर्ट से ‘तांडव’ को लगा बड़ा झटका, अभिनेताओं-निर्माताओं को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने एफआईआर पर रोक लगाने के लिए किसी भी तरह का आदेश पारित करने में अपनी असहमति व्यक्त की। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को इन मामलों को समाप्त करने के लिए उच्च न्यायालयों में जाना चाहिए।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तांडव के अभिनेताओं और निर्माताओं को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है, जिससे अब उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। सैफ अली खान, डिंपल कपाड़िया और सुनील ग्रोवर की मुख्य भूमिका वाले तांडव वेब सीरीज के मेकर्स और अभिनेताओं को कुछ दृश्यों को लेकर देश में काफी विरोध का सामना करना पड़ा है और कई जगहों पर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उनकी मुश्किलें बढ़ा सकता है।

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अमेजन प्राइम की तांडव वेब सीरीज के अभिनेताओं और निमार्ताओं के खिलाफ एफआईआर पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता निरपेक्ष नहीं है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने एफआईआर पर रोक लगाने के लिए किसी भी तरह का आदेश पारित करने में अपनी असहमति व्यक्त की। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को इन मामलों को समाप्त करने के लिए उच्च न्यायालयों में जाना चाहिए।

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तांडव के निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ वकील फली एस. नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने अर्नब गोस्वामी मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए इस केस में राहत मांगी। लूथरा ने तर्क दिया कि वेब श्रृंखला के निर्देशक को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "क्या इस तरह से देश में स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए और देश भर में एफआईआर दर्ज की जा रही हैं।" इश पर पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है और यह प्रतिबंधों के अधीन है।

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वहीं फली एस नरीमन ने कहा कि निर्माताओं द्वारा माफी मांग ली गई है और इसके बावजूद छह राज्यों में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इस पर न्यायमूर्ति भूषण ने जवाब दिया, "आप चाहते हैं कि एफआईआर को खत्म कर दिया जाए, फिर आप उच्च न्यायालयों से संपर्क क्यों नहीं कर सकते?"
नरीमन ने कहा कि वेब सीरीज निर्माताओं ने आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया है और अभी भी उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि अगर माफी दी गई है तो पुलिस भी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर सकती है।

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