NGO फंड में गड़बड़ी का मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने अग्रिम जमानत के गुजरात हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की अग्रिम जमानत बनी रहेगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को धन के कथित दुरुपयोग को लेकर उनके खिलाफ दायर मामले में गुजरात पुलिस के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू के यह कहने के बाद कि दोनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश पारित किया है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा की पीठ ने मामले में अग्रिम जमानत देने को चुनौती देने वाली गुजरात सरकार की याचिका का निपटारा करते हुए कहा, अभी तक आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है। ASG का मानना है कि सहयोग की कमी है। जैसा भी हो, उत्तरदाता आवश्यकता पड़ने पर जांच में सहयोग करेंगे।
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शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ की उस याचिका का भी निपटारा कर दिया जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा 8 फरवरी, 2019 के फैसले में अग्रिम जमानत देते समय की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग की गई थी। पीठ ने उनकी अग्रिम जमानत को पूर्ण बनाते हुए कहा, यह कहना गलत है कि जमानत के चरण में की गई कोई भी टिप्पणी मामले की सुनवाई पर शायद ही कोई प्रभाव डाल सकती है। हमें इससे ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
धन की कथित हेराफेरी का मामला अहमदाबाद अपराध शाखा ने एक शिकायत पर दर्ज किया था, जिसमें तीस्ता सीतलवाड और आनंद पर 2008 और 2013 के बीच अपने NGO सबरंग ट्रस्ट के माध्यम से केंद्र सरकार से "धोखाधड़ी" से 1.4 करोड़ रुपये का अनुदान हासिल करने का आरोप लगाया गया था।
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