हालात

बड़ा सवालः चीन घुसा ही नहीं तो लौट क्यों रहा है और हमला नहीं किया तो हमारे जवान शहीद कैसे हुए!

लगता है भारत ने अपनी ही क्षेत्र से अपने जवानों की वापसी और भारतीय क्षेत्र के अंदर आंशिक ‘बफर जोन’ बनाने पर सहमत होकर चीन को अपने इलाके सौंप दिए। इससे भारत वह यथास्थिति बनाए रखने पर जोर देने में विफल रहा जिससे चीन के कब्जाए इलाके वापस पाने की हालत होती।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में जो कुछ हुआ, उसके बाद भी अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का नाम भी एक आक्रामक के तौर पर लेने से बचते रहे और कहा कि ‘भारतीय क्षेत्र का एक इंच भी नहीं खोया गया है’, तो आखिर, सैन्य स्तर पर नौ चक्रों की बातचीत में क्या विचार विमर्श किया गया? क्या एक आक्रामक के तौर पर चीन का नाम लेने से आनाकानी और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर उल्लंघनों से मना करना बातचीत में चीन को मजबूत स्थिति नहीं देते हैं?

बातचीत के नौवें चक्र के बाद पैंगोंग त्सो से पीएलए की सुचिंतित वापसी के दृश्य की हालांकि भारतीय सेना ने तस्वीरें खींची और इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की, यह देखना होगा कि चीनी पूरी सहमत प्रक्रिया का पालन करते हैं या नहीं। आखिर, वापसी की इसी किस्म की आशाएं सरकार के इस दावे के साथ पहले भी जगती रही हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 5 जुलाई, 2020 को हुए विस्तृत वीडियो कॉल के बाद युद्ध की स्थिति शांत हो गई है। पर आरंभिक कदम उठाने के बाद चीनी सेनाएं रुकी रहीं।

Published: 20 Feb 2021, 7:22 PM IST

फिर, सैन्य स्तर की बातचीत तो जारी रही ही, मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के अवसर पर 4 सितंबर को राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री जनरल वी फेंगे से संकट के पारस्परिक स्वीकार्य समाधान पर बातचीत की। एक हफ्ते बाद उसी जगह विदेश मंत्री एस. जयशंकर एससीओ विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में वांग यी से विवाद पर बात करने और उसे खत्म करने के लिए मिले। इससे पहले गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के दो दिनों बाद भी गतिरोध समाप्त करने के लिए दोनों मंत्रियों ने बात की थी।

भारत ने लगातार दावा किया है कि इसने चीन से कई प्रमुख रियायतें हासिल की हैं। लेकिन इसके विपरीत लगता है कि भारत ने अपनी ही सीमा के क्षेत्रों से अपने जवानों की वापसी और भारतीय क्षेत्र के अंदर आंशिक ‘बफर जोन’ बनाने पर सहमत होकर चीन को अपने इलाके सौंप दिए हैं। इसका परिणाम यह है कि भारत वह यथास्थिति बनाए रखने पर जोर देने में विफल रहा है जिससे चीन द्वारा कब्जा किए गए इलाके वापस पाने की हालत होती।

Published: 20 Feb 2021, 7:22 PM IST

इस तरह चीन दो पड़ोसियों के बीच विभाजन करने वाली 3,488 किलोमीटर हिमालयी सीमा के एलएसी को एकतरफा तरीके से बदलने में सफल रहा है। 5 जुलाई को भी जिस सहमति पर पहुंचा गया था, उसमें दोनों पक्षों को अपनी-अपनी जगह से कम-से-कम 1.5 किलोमीटर हटना था ताकि एलएसी के दोनों तरफ 2 किलामीटर का बैरियर बनाए रखा जाए और बॉर्डर पेट्रोलिंग इस तरह की जाए कि किसी सैन्य आमना-सामना की पुनरावृत्ति न हो।

यह असली सवाल बना हुआ है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के इस तरह बढ़ने के पीछे उसका उद्देश्य क्या है, खास तौर से तब जब उसने उन क्षेत्रों में अपने लोगों और साजो-सामान की सुरक्षा और नियंत्रण के लिए काफी निवेश कर रखा है। चीन के साथ-साथ ताईवान और सिंगापुर की प्रमुख आबादी को ‘हैन’ कहते हैं। चीनी हैन संस्कृति लक्ष्य-आधारित है और इसकी सेना की सोच है कि अगर वह कोई इलाका अपनी इच्छा से कब्जा कर सकती है जहां कम प्रतिरोध हो, तो इससे अनुरोध पर वापसी की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए लद्दाख में चीनी सैन्य आक्रमण महज सुनियोजित नहीं है बल्कि इसके पीछे दीर्घकालीन लक्ष्य को पूरा करने की रणनीतिक इच्छा है। आखिरकार, पीएलए के कदम को उच्चतम नेतृत्व- राष्ट्रपति शी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी), से निर्देश प्राप्त था।

Published: 20 Feb 2021, 7:22 PM IST

अनदेखी नहीं की जा सकती राहुल के इन 5 सवालों की

  1. भारत की बातचीत की स्थिति आधिकारिक तौर पर पूर्वी लद्दाख में वह यथास्थिति बनाए रखने की रही है जो अप्रैल, 2020 में थी। भारतीय सेना उस वक्त फिंगर 4 पर थी। रक्षामंत्री अब कहते हैं कि भारतीय सेना अब फिंगर 3 पर रहेगी। प्रधानमंत्री ने भारतीय क्षेत्र के समर्पण की इजाजत क्यों दी?
  2. काफी खतरे मोल लेकर भारतीय सेना ने कैलाश रेंज पर कब्जा कर रणनीतिक बढ़त हासिल की थी। सेना को क्यों कैलाश से वापस आने को कहा गया? बदले में सेना ने क्या हासिल किया?
  3. पीएलए ने घुसपैठ की और डेप्सांग के इलाकों पर कब्जा किया। वे वापस क्यों नहीं जा रहे हैं और रक्षामंत्री ने अपने बयान में इसे स्पष्ट करने के लिए एक शब्द भी क्यों नहीं खर्च किया?
  4. विपक्ष को संसद में मुद्दा उठाने की अनुमति नहीं दी गई और मैं मुतमईन हूं कि वे लोग इस विषय पर बहस की अनुमति नहीं देंगे। सरकार इस पर बहस क्यों नहीं कराती है?
  5. पूर्वी लद्दाख में वापसी से भारत को क्या रणनीतिक लाभ पहुंचा है? क्या प्रधानमंत्री ने भारतीय सैनिकों और उनके बलिदान के साथ धोखा नहीं किया है? उन्होंने रक्षामंत्री को संसद में बयान देने को क्यों कहा? क्या प्रधानमंत्री को बयान नहीं देना चाहिए?

Published: 20 Feb 2021, 7:22 PM IST

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Published: 20 Feb 2021, 7:22 PM IST

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