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देश के कार्पोरेट घरानों की बीजेपी पर मेहरबानी बरकरार, कुल चंदे का 90 फीसदी उसके हिस्से में: एडीआर रिपोर्ट

बीजेपी पर देश के कार्पोरेट घरानों की मेहरबानी जारी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी को 2016-17 में 290 करोड़ रुपए से ज्यादा का चंदा मिला है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया कॉरपोरेट घरानों ने बीजेपी को दिया सबसे ज्यादा चंदा

भारतीय जनता पार्टी पर देश के कार्पोरेट घरानों की मेहरबानी जारी है। इन घरानों की तरफ से दिए जाने वाले चंदे में से करीब 90 फीसदी बीजेपी के हिस्से में आया है, बाकी दस फीसदी में देश के दूसरे पंजीकृत राजनीतिक दल हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी को 2016-17 में 290 करोड़ रुपए से ज्यादा का चंदा मिला है।

कार्पोरेट चंदे के लिए बनाए गए ट्रस्ट यानी चुनावी न्यासों द्वारा चुनाव आयोग में जमा कराई गई रिटर्न के आधार पर एडीआर ने कार्पोरेट चंदे का विश्लेषण किया है। विश्लेषण के मुताबिक चुनावी न्यासों ने बीजेपी को 290.22 करोड़ रुपए और कांग्रेस और अकाली दल समेत दूसरे 9 राजनीतिक दलों को 35 करोड़ रुपए चंदा दिया है।

कांग्रेस को कुल कार्पोरेट चंदे का सिर्फ 5 फीसदी यानी 16.5 करोड़ रुपए चंदा मिला है, जबकि शिरोमणि अकाली दल को 2.75 फीसदी यानी 9 करोड़ रुपए और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को 2 फीसदी यानी 6.5 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।

जिन चुनावी न्यासों यानी इलेक्टोरल ट्रस्ट ने चंदा दिया है, उनमें से दो ट्रस्ट प्रूडेंट निर्वाचक ट्रस्ट ने कुल मिले चंदे का 88.9 फीसदी और जनता निर्वाचक ट्रस्ट ने उसे मिला सारा चंदा यानी 100 फीसदी बीजेपी को दिया है।

यह सारे ट्रस्ट 2013 में सामने आए थे। यह ट्रस्ट कार्पोरेट घरानों से चंदा लेकर राजनीतिक दलों को देते हैं और इस बारे में उन्हें हर साल चुनाव आयोग में रिटर्न फाइल कर यह बताना होता है कि उन्हें किस वर्ष कितना पैसा चंदे के रूप में मिला और उन्होंने कितना पैसा किस पार्टी को दिया। नियमों के अनुसार

इन ट्रस्ट को हर साल मिले कुल चंदे का 95 फीसदी रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को देना होता है।

चुनाव आयोग में दाखिल दस्तावेजों के विश्लेषण में एडीआर ने पाया कि सत्या निर्वाचक ट्रस्ट, जिसका बाद में नाम प्रूडेंट निर्वाचक ट्रस्ट हो गया, उसे सबसे ज्यादा कार्पोरेट चंदा मिला है। उसे चंदा देने वालों में डीएलएफ समूह, यूपीएल लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, पिरामल एंटरप्राइजेज, भारतीय एयरटेल, एस्सार और ग्रासिम सीमेंट जैसी कंपनिया हैं। वहीं जनता निर्वाचक ट्रस्ट ज्यादा चंदा पाने वाले ट्रस्टों में दूसरे नंबर पर है

एडीएआर के विश्लेषण के मुताबिक प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को कुल 283.73 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले, जिसमें से 283.72 करोड़ रुपए उसने बीजेपी समेत 6 राजनीतिक दलों को दिए। वर्ष 2016-17 में इस ट्रस्ट ने बीजेपी को बड़ा हिस्सा देने के अलावा कांग्रेस को 16.5 करोड़, शिरोमणि अकाली दल को 9 करोड़, समाजवादी पार्टी को 6.6 करोड़ देने के अलावा आम आदमी पार्टी, शिवसेना को एक-एक करोड़ दिए। बाकी पैसा इसने तृणमूल कांग्रेस, आरएलडी, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस को दिया।

सोमवार को जारी एडीआर कि इस रिपोर्ट की मुख्य बातें यह हैं:

  • पिछले 4 वर्षों में इन इलेक्टोरल ट्रस्टों को कुल 637.53 करोड़ चंदे के रूप में मिले और इन्होंने बीजेपी को सबसे ज्यादा पैसा दिया। बीजेपी को बीते 4 साल में तकरीबन 77 फीसदी यानी 488.94 करोड़ रुपए की रकम मिली है। इस सूची में कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपए और एनसीपी को 10.78 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।
  • क्षेत्रीय पार्टियों में पिछले चार वर्षों के दौरान शिरोमणि अकाली दल को सबसे ज्यादा दान मिला है। उसे 11 करोड़ रुपए जबकि समाजवादी पार्टी को 8.19 करोड़ रुपए मिले हैं।
  • तीन ट्रस्ट ने उन्हें मिले सारे चंदे को बीजेपी, तृणमल कांग्रेस और कांग्रेस को दिया है।
  • केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी में रजिस्टर्ज कुल 21 ट्रस्ट में से सिर्फ 14 ने ही चुनाव आयोग में अपनी रिटर्न फाइल की है। इनमें से भी सिर्फ 6 ने कहा है कि उन्हें कार्पोरेट चंदा मिला है।
  • बीते चार सालों यानी 2013 से 2017 के बीच 9 ट्रस्ट ने राजनीतिक दलों को कुल 637.54 करोड़ रुपए चंदा देने की बात कही है।
  • सिर्फ दो ट्रस्ट ने ही बीते सभी चार साल की रिटर्न चुनाव आयोग में जमा कराई है।
  • कंपनियों के अलावा जिन व्यक्तियों ने इन ट्रस्ट को पैसा दिया है, उनमें सुरेश कोटर और अनलजीत सिंह शामिल हैं।
  • सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा देने वाले कार्पोरेट घरानों में डीएलएफ, यूपीएल, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, पिरामल, भारती एयरटेल, अल्ट्राटेक, ग्रासिम और डीएलएफ साइबर सिटी शामिल हैं।
  • इन ट्रस्टों को 2013-14 में 85.37 करोड़, साल 2014-15 में 177.4 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 49.5 करोड़ रुपए का चंदा मिला था।

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