त्रिपुरा में 16 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सत्तारूढ़ बीजेपी को पार्टी के एक और विधायक ने झटका दे दिया है। अतुल देबबर्मा ने सोमवार को पार्टी के साथ त्रिपुरा विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया। चिकित्सक से राजनेता बने देबबर्मा ने सोमवार को खोवाई जिले के कृष्णपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में अपना नामांकनपत्र दाखिल किया।
अतुल देबबर्मा और छह अन्य वर्तमान बीजेपी विधायकों को अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की सूची से हटा दिया गया है। सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस बार कृष्णापुर विधानसभा सीट से बिकास देबबर्मा को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने 60 विधानसभा क्षेत्रों में से 55 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, जबकि उसके सहयोगी इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने शेष पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
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अतुल देबबर्मा बीजेपी के छठे विधायक और बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन के 9वें विधायक हैं, जिन्होंने 2021 से अब तक विधानसभा की सदस्यता के साथ अपनी पार्टी को भी छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि उनका नाम उम्मीदवारों की सूची से हटा दिया गया था और अभी तक किसी को भी सूचित नहीं किया गया था।
59 वर्षीय नेता ने बताया, "2018 में मैं दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गया और कृष्णापुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुना गया। मैंने लोगों को सेवाएं देने की पूरी कोशिश की है। अगर मैं सरकारी नौकरी नहीं छोड़ता, तो कई वर्षो तक काम कर सकता था।" उन्होंने कहा कि अपने समर्थकों के भारी दबाव के कारण उन्हें बीजेपी छोड़कर निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन दाखिल करना पड़ा।
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इससे पहले बीजेपी विधायक दीबा चंद्र हरंगखाल, बरबा मोहन त्रिपुरा, आशीष दास, सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा और आईपीएफटी के विधायक मेवार कुमार जमातिया, बृषकेतु देबबर्मा और धनंजय सरकार ने त्रिपुरा में सत्तारूढ़ दलों के साथ खुले मतभेदों के बाद पार्टी और विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। दास तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, जबकि बीजेपी के पूर्व मंत्री रॉय बर्मन, साहा और हरंगखाल कांग्रेस में शामिल हो गए।
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वहीं बुर्बा मोहन त्रिपुरा और तीन आईपीएफटी विधायक प्रभावशाली जनजातीय-आधारित पार्टी तिप्राहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (टीआईपीआरए) में शामिल हो गए, जिसका नेतृत्व पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन कर रहे थे। टीआईपीआरए अब राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 30 सदस्यीय त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) पर शासन कर रहा है।
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