समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। शीर्ष कोर्ट ने 2017 के चुनाव में अब्दुल्ला आजम के निर्वाचन को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए सपा नेता की याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने 2017 के यूपी चुनाव में अब्दुल्ला के चुनाव रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 20 सितंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अब्दुल्ला आजम की याचिका पर शीर्ष अदालत की न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने सुनवाई की और कहा कि याचिका खारिज कर दी गई है। यह मामला अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्रों से जुड़ा है, जिनमें उन्होंने 2017 के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय कथित तौर पर गलत जन्मतिथि दी थी।
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दिसंबर 2019 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे, क्योंकि उनकी उम्र 25 वर्ष से कम थी, जब उन्होंने 2017 में स्वार निर्वाचन क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया था। रामपुर की एक अदालत ने आजम खान और उनकी पत्नी को अब्दुल्ला आजम के लिए फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पेश करने में उनकी भूमिका के लिए जेल भेज दिया था।
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जनवरी 2019 में रामपुर के बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने अलग-अलग तारीखों के साथ दो जन्म प्रमाण पत्र हासिल करने में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए गंज पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर दर्ज कराई। 2017 में, अब्दुल्ला आजम ने स्वार विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन उच्च न्यायालय द्वारा कम उम्र के होने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। 2022 के विधानसभा चुनावों में वह फिर से इसी निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए हैं।
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