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भूपेश बघेल ने ली छत्तीसगढ़ के सीएम पद की शपथ, टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू ने ली मंत्री पद की शपथ

भूपेश बघेल ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। बघेल के अलावा टीएस सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू ने मंत्री पद की शपथ ली

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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडियम में शपथग्रहण समारोह में भूपेश बघेल ने सीएम पद की शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। बघेल के साथ टीएस सिंहदेव और ताम्रध्‍वज साहू ने भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। पहले ये समारोह साइंस कॉलेज मैदान में होना था, लेकिन बारिश के कारण समारोह स्थल बदलाव किया गया। इस दौरान शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मनमोहन सिंह, पीएम पुनिया, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नवजोज सिंह सिद्धू, मोहसिना किदवई, मोती लाल वोरा और पीएल पुनिया सहित कई नेता शामिल हुए हैं।

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कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अलावा दूसरी पार्टियों के भी कई दिग्गज नेताओं ने समारोह में शिरकत की। इनमें नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आंध प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, मौजूद रहे। शपथग्रहण समारोह में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह भी शिरकत की।

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भूपेश बघेल का सियासी सफर

भूपेश बघेल का राजनीतिक सफर अविभाजित मध्य प्रदेश में 80 के दशक में ही शुरू हो गया था। वे दुर्ग यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके साथ ही उन्हें 1994-95 में मध्य प्रदेश यूथ कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया।

यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेश उपाध्यक्ष रहते हुए भूपेश बघेल 1993 में पहली बार पाटन (दुर्ग) से कांग्रेस प्रत्याशी घोषित किए गए और जीत दर्ज की। उन्होंने बीएसपी के केजूराम वर्मा को करीब 3 हजार वोट से पराजित किया। इस जीत के साथ ही उनका सियासी सफर शुरू हुआ। 1993 के बाद 1998 में भी उन्होंने पाटन विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। इस बार उन्होंने बीजेपी की निरूपमा चंद्राकर को 3700 वोटों से पटखनी दी थी। इस जीत के साथ ही भूपेश बघेल दिग्विजय सिंह की सरकार में पहली बार कैबिनेट मंत्री बने थे।

1 नवंबर, 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य बना, तो भूपेश फिर कैबिनेट मंत्री बने। साल 2003 में जब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार आई, तो उन्हें विपक्ष में उपनेता बनाया गया। 80 के दशक से शुरू हुआ भूपेश बघेल का सियासी सफर विधानसभा तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने 2004 और 2009 में सांसद चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी। 2004 में भूपेश बघेल को दुर्ग से उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी ताराचंद साहू से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वहीं 2009 में उन्होंने रायपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद का चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी रमेश बैस से हार गए। वहीं इस बार के विधानससभा चुनावों में पाटन सीट से भूपेश बघेल ने 51.87 फीसदी वोट हासिल करके बीजेपी के मोतीलाल साहू को 27,477 वोटों से हराया दिया।

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