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भीमा कोरेगांव: जमानत अर्जी खारिज होने के बाद सुधा भारद्वाज गिरफ्तार, एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका भी निरस्त

पुणे पुलिस शनिवार की सुबह फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में सुधा भारद्वाज के घर पहुंची और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। फरीदबाद की रहने वाली सुधा भारद्वाज सहित 5 लोगों को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में हिंसा फैलाने के लिए आरोपी बनाया गया है।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  भीमा कोरेगांव: जमानत अर्जी खारिज होने के बाद सुधा भारद्वाज गिरफ्तार, एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका भी निरस्त

सुप्रीम कोर्ट ने इतिहासकार रोमिला थापर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें भीमा कोरेगांव हिंसा केस में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं के मामले की जांच एसआईटी से कराने की मांग की गई थी। कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को इसकी जांच करने की इजाजत दी है। सुप्रीम कोर्ट में रोमिला थापर ने यह समीक्षा याचिका लगाई थी।

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वहीं सुधा भारद्वाज से हरियाणा पुलिस पूछताछ कर रही है। बता दें कि पुणे की एक अदालत ने शुक्रवार को सुधा भारद्वाज, वेरनन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिका खारिज कर दी। कथित माओवादियों से संबधों की वजह से इन्हें गिरफ्तार किया गया था। दूसरी ओर भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के पुणे की एक अदालत ने आरोपी अरुण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस को 6 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

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इस मामले पर पुणे न्यायालय की सरकारी वकील उज्जवला पवार ने बताया, “हमने अरुण फरेरा और वेरनन गोंजाल्विस की 14 दिनों की न्यायिक हिरासत की मांग की थी।” बचाव पक्ष के वकील सिद्धार्थ पाटिल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार उनका हाउस अरेस्ट 26 अक्टूबर को खत्म होने वाली थी जो रात के 12 बजे यह समय सीमा खत्म हो गई है। ऐसे में पुलिस द्वारा माननीय न्यायालय के आदेश की अवमानना की गई है।”

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इसके अलावा शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को बॉम्बे हाई कोर्ट से फौरी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम आदेश जारी रखते हुए गौतम नवलखा की गिरफ्तारी पर 1 नबंबर तक के लिए रोक बरकरार रखी।

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बता दें कि 1 जनवरी 2018 को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा फैली थी। इस मामले की जांच के दौरान पुणे पुलिस ने 28 अगस्त को 5 सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वेरनन गोंजाल्विस, वरवरा राव और अरुण फरेरा को देश के अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार किया था। उसके बाद से ये कार्यकर्ता नजरबंद थे। हालांकि, गौतम नवलखा को दिल्ली हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया था।

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