आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज (उदय राव देशमुख) का मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया। भय्यूजी महाराज की बेटी कुहू ने उन्हें मुखाग्नि दी। भय्यूजी महाराज ने पारिवारिक तनाव के चलते मंगलवार को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर आज सुबह सिल्वर स्प्रिंग इलाके में स्थित उनके आवास से सूर्योदय आश्रम ले जाया गया, जहां उनके अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे सहित कई प्रमुख लोगों ने श्रद्धांजलि दी।
Published: 13 Jun 2018, 1:29 PM IST
भय्यूजी महाराज की अंतिम यात्रा सूर्योदय आश्रम से शुरू हुई। पार्थिव शरीर को एक खुले ट्रक में रखा गया था, जिसे पुष्पों से सजाया गया था। भय्यूजी महाराज के अंतिम सफर में उनके परिवार वालों के साथ ही हजारों समर्थकों का काफिला नजर आया। कई स्थानों पर अनुयायियों ने मंच बनाकर अपने गुरु को अंतिम विदाई दी।
Published: 13 Jun 2018, 1:29 PM IST
भय्यूजी ने 12 जून को खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। मौके से मिले सुसाइड नोट में भय्यूजी ने तनाव के चलते आत्महत्या करने का जिक्र किया था। इस सुसाइड नोट के दूसरे पन्ने में उन्होंने अपने आश्रम, प्रॉपर्टी और वित्तीय शक्तियों की सारी जिम्मेदारी अपने वफादार सेवादार विनायक को दी है। सुसाइड में भय्यूजी महाराज ने लिखा कि मैं विनायक पर भरोसा करता हूं, इसलिए उसे ये सारी जिम्मेदारी दे रहा हूं।
भय्यूजी की आत्महत्या के बाद जो बातें सामने आ रही हैं, उससे पता चल रहा है कि भय्यूजी की बेटी कुहू और उनकी दूसरी पत्नी डॉ आयुषी के बीच बहुत गहरे मतभेद थे। उनकी बेटी कुहू ने इस हादसे के लिए डॉक्टर आयुषी को जिम्मेदार ठहराया है।
भय्यूजी महाराज की पहली पत्नी माधवी की नवंबर 2015 में दिल के दौरे के कारण मौत हो गयी थी। इसके बाद उन्होंने साल 2017 में मध्य प्रदेश के शिवपुरी की डॉक्टर आयुषी शर्मा के साथ दूसरी शादी की थी।
इसे भी पढ़ें: मध्य प्रदेशः भय्यू जी महाराज ने खुद को गोली मारकर की खुदकुशी, शिवराज ने बनाया था राज्य मंत्री
Published: 13 Jun 2018, 1:29 PM IST
1968 में जन्में भय्यूजी महाराज का असली नाम उदय सिंह देखमुख है। उनका संबंध शुजालपुर के जमींदार परिवार से था। भय्यूजी महाराज पहले एक फैशन डिजाइनर थे, बाद में उनका अध्यात्म की ओर झुकाव हुआ। उन्होंने कपड़ों के एक ब्रांड के लिए मॉडलिंग भी की थी। भय्यू जी महाराज का सदगुरु दत्त धामिर्क ट्रस्ट के नाम से एक ट्रस्ट भी चलता है। वे इस ट्रस्ट के जरिये स्कॉलरशिप बांटा करते थे और कैदियों के बच्चों को भी पढ़ाते थे।
भय्यूजी महाराज उस समय देश में चर्चा में आये थे जब दिल्ली में चल रहे अन्ना आंदोलन के समय उन्होंने सरकार और आंदोलकारियों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। 2011 में अन्ना हजारे के अनशन को खत्म करवाने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें अपना दूत बनाकर भेजा था।
(आईएनएस के इनपुट के साथ)
Published: 13 Jun 2018, 1:29 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 13 Jun 2018, 1:29 PM IST