भारत जोड़ो यात्रा आज अपने 14वें दिन में कोच्चि पहुंच गई है। राहुल गांधी ने आज सुबह यात्रा की शुरुआत करने से पहले श्री नारायण गुरु को श्रृद्धांजलि दी। यात्रा की शुरुआत मडावना जंक्शन से शुरु हुई।
कोच्चि में यात्रा मडावना जंक्शन से शुरु होकर सुबह 11 बजे एडापल्ली के सेंट जॉर्ज चर्च पहुंचेगी। यहां पर सभी यात्री आराम करेंगे। इसके बाद यात्रा फिर से शाम को कलामशेरी म्यूनिसिपल ऑफिस से शुरु हो होगी और शाम 7 बजे अलुवा में पारावुर जंक्शन पर खत्म होगी। यहीं पर यात्री रात्रि विश्राम करेंगे।
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कोच्चि पहुंचने से पहले तक इस यात्रा को इंदौर के पत्रकार दीपक असीम ने साथ रहकर कवर किया है। पढ़िए उनकी यह रिपोर्ट-
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए बीस साल की अतीशा ने एयर इंडिया की नौकरी ठुकरा दी। नासिक महाराष्ट्र की अतीशा को एयर इंडिया की तरफ से जॉइनिंग लेटर आ गया था। लाखों का पैकेज था। मगर अतीशा को कांग्रेस की तरफ से भी इस यात्रा के लिए चुन लिया गया था। उनके सामने दुविधा थी कि किसे चुनें। अतीशा ने एक मिनट भी नहीं लगाया और इस यात्रा को चुना। घर पर आय का माध्यम पिता जी की पेंशन है। पिता पहले सरकारी नौकरी में थे।
अतीशा युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हैं। वह अभी 2-3 साल पहले ही कांग्रेस में शामिल हुई हैं और पार्टी की युवा इकाई से जुड़ी हैं। इस सवाल पर कि आखिर उन्होंने कांग्रेस पार्टी ही क्यों चुनी, उनका जवाब है कि, “कांग्रेस देशभक्त पार्टी है। उसका पूरा इतिहास देश के लिए मर मिटने का है। खुद मैं चाहती हूं कि देश के लिए जान दूं और मेरा शव तिरंगे में लिपटा हो।“
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लेकिन इन दिनों तो राष्ट्रवाद का दावा तो किसी और का है? इस सवाल के जवाब में अतीशा कहती हैं, “जिनके मुख्यालय पर तिरंगा झंडा जबरन लगाया गया हो, जिन्होंने हमेशा तिरंगे का विरोध किया हो, जो अंग्रेजों के मुखबिर रहे हों, वो राष्ट्रवाद का दावा केवल लोगों को मूर्ख बनाने के लिए करते हैं। उनके दिल में राष्ट्रवाद नहीं नफरतें हैं।“
भारत जोड़ो यात्रा के बारे में अतिशा का कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा ने जिंदगी का एक नया रूटीन तय कर दिया है। उन्होंने कहा, “अचानक हमारा जीवन बिल्कुल बदल गया है। सोना, उठना, बैठना, खाना, पीना सबका समय बदल गया है। यहां बहुत कम पानी में सब काम निपटाना पड़ता है।“
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एक अटल कांग्रेस के भी....
भारत जोड़ो यात्रा में जो पूर्णकालिक पदयात्री हैं, उनमें एक प्रतिभा अटल पाल भी हैं। कानपुर से हैं। अटल उनका सरनेम नहीं है। पति का नाम भी नहीं है। यह उनके ससुर का नाम है। ससुर कांग्रेस समर्थक थे। प्रतिभा बताती हैं कि उनके ससुर को अटल नाम की उपाधि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने दिया था। उसके बाद से ही उनके ससुर अपने नाम के साथ अटल जोड़ने लगे और अब यह पूरे खानदान की उपाधि हो गई है। प्रतिभा के ससुर का नाम किशनलाल अटल पाल था। वे एक बार विधानसभा का चुनाव भी कांग्रेस के उम्मीदवार भी बने थे, लेकिन फिर उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली गई थी।
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उत्तर प्रदेश से हैं, इस नाते प्रतिभा बहुत सधी हुई हिंदी में बात करती हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति राजनीति में आना चाहते थे, लेकिन फिर सरकारी नौकरी में आने के बाद उन्होंने यह विचार छोड़ दिया, लेकिन पति ने प्रतिभा से कहा कि वे समाजसेवा के लिए राजनीति में उतरें। शादी के दो साल बाद ही प्रतिभा राजनीति में उतर गईं। इस कदम पर उनकी सास ने उनका साथ दिया। प्रतिभा अटल पाल ने कांग्रेस के संगठन चुनाव में हिस्सा लिया और जीतीं। और अब जिम्मेदारी निभाते हुए भारत जोड़ो यात्रा का हिस्सा हैं।
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