इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राज्य के अधिकारियों को संशोधित साइलेंसर के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले दोपहिया वाहनों पर नकेल कसने का निर्देश दिया है। अदालत ने अधिकारियों से ऐसी बाइकों के मालिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर सुनवाई की अगली तारीख तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
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न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की पीठ ने मंगलवार को आदेश पारित किया है, जिसमें भारतीय और विदेशी निर्मित दोपहिया वाहनों में साइलेंसर के संशोधन के कारण होने वाले ध्वनि प्रदूषण का स्वत: संज्ञान लेते हुए 80 डेसिबल की अनुमेय सीमा से अधिक ध्वनि उत्पन्न होती है।
मामले को एक जनहित याचिका के रूप में मानने और इसे एक उपयुक्त पीठ के समक्ष रखने का निर्देश देते हुए, न्यायमूर्ति मोइन ने प्रमुख सचिव (परिवहन), प्रमुख सचिव, (गृह), पुलिस महानिदेशक, अध्यक्ष, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पुलिस उपायुक्त को निर्देश दिया। (यातायात), लखनऊ बेंच को 10 अगस्त तक अनुपालन का अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा।
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अदालत ने वाहनों के ध्वनि प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की और कहा, शोर मफलर / साइलेंसर के संशोधन से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है, जहां सैकड़ों मीटर दूर एक वाहन को सुना जा सकता है, जिससे बच्चों, बूढ़े और कमजोर व्यक्तियों को असुविधा होती है।
पीठ ने कहा, स्कूटर और मोटरसाइकिल के लिए ताय सीमा 75 से 80 डेसिबल तक होती है और यह निर्माण स्तर पर तय की जाती है। साइलेंसर को संशोधित करके या मफलर को हटाकर, शोर की सीमा 80 डेसिबल से अधिक हो जाती है। समस्या को अधिकारियों द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए।
--आईएएनएस
एनपी/आरजेएस
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