पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण के तहत शनिवार को 45 सीटों पर मतदान हुआ। पहले के चार चरणों की तरह इस चरण में भी बंपर वोटिंग हुई। चुनाव आयोग के मुताबिक शाम 6 बजे तक 78.36 % मतदान दर्ज हुआ है, जो अंतिम आंकड़ों में अभी और बढ़ सकता है। इस फेज में जलपाईगुड़ी, कलिम्पोंग, दार्जिलिंग, उत्तर 24 परगना, नदिया शहर और पूर्वी बर्धमान जिले की सभी 45 सीटों पर सुबह 7 बजे वोटिंग शुरू हो गई थी।
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हालांकि, आज भी वोटिंग के दौरान राज्य के कुछ हिस्सों से छिटपुट हिंसा की खबरें आईं। उत्तर 24 परगना जिले में बीजेपी प्रत्याशी राजू बनर्जी ने अपने काफिले पर हमले का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी कार पर पत्थर और बम फेंके गए हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से इस घटना की शिकायत की है।
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वहीं बारासात जिले के डीगंगा विधानसभा क्षेत्र के कुरुलगचा इलाके में स्थानीय लोगों ने केंद्रीय बलों पर बेवजह फायरिंग का आरोप लगाया। स्थानीय लोगों के अनुसार केंद्रीय बलों ने बेवजह स्थानीय लोगों को डराने के लिए फायरिंग की। हालांकि फायरिंग की इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। वहीं बारासात एसपी ने पुलिस ऑब्जर्वर को भेजी रिपोर्ट में आरोप को निराधार बताया है।
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वहीं आज वोटिंग शुरू होते ही बिधान नगर विधानसभा क्षेत्र के शांति नगर इलाके में टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई। दोनों ही पार्टी के समर्थकों ने एक दूसरे पर फर्जी मतदान के आरोप लगाए। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई। बिधान नगर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी की उम्मीदवार साब्यसाची दत्ता ने इस झड़प को लेकर टीएमसी पर आरोप लगाया। बाद में चुनाव अधिकारियों और पुलिस ने हालात को संभाला।
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आज के मतदान के दौरान कमरहाटी विधानसभा क्षेत्र के बूथ नंबर 107 पर बीजेपी के एक पोलिंग एजेंट की अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई। पोलिंग एजेंट के भाई ने आरोप लगाया कि तबीयत खराब होने पर किसी ने उसके भाई की मदद नहीं की और वह तड़प-तड़प कर मर गया। उसने बूथ पर मेडिकल से जुड़े इंतजाम भी नहीं होने के आरोप लगाए हैं। इस मामले में चुनाव आयोग ने रिपोर्ट मांगी है।
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बता दें कि बंगाल चुनाव के इस चरण में सबसे ज्यादा 45 सीटों पर चुनाव हुआ। इन 45 में से 13 सीटें उत्तरी बंगाल की हैं, जहां बीजेपी की स्थिति मजबूत है। वहीं दक्षिण बंगाल में तृणमूल का प्रभाव ज्यादा माना जाता है। इस चुनाव में गोरखालैंड आंदोलन, चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों के मुद्दे और स्थानीय स्तर पर विकास जैसे मुद्दे अहम हैं।
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