पश्चिम बंगाल चुनाव में पश्चिम मिदनापुर जिले के डेबरा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी की उम्मीदवार और पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगाने और मामले में दर्ज एफआईआर को खत्म करने की मांग की है। जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस के एम जोसफ की पीठ ने इस मामले को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
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बीते लोकसभा चुनाव में घाटल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी की उम्मीदवार रहीं भारती घोष के खिलाफ 12 मई 2019 को चुनाव के दौरान हत्या की कोशिश सहित जनप्रतिनिधित्व कानून और अन्य कई गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसी मामले में अपने हस्तक्षेप आवेदन में उन्होंने कहा है कि वह केशपुर के सभी बूथों में अभूतपूर्व हिंसा का सामना कर रही हैं और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में गलत, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण सामग्री हैं, जो सभी एक सुनियोजित राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हैं।
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उन्होंने दलील दी है कि 19 फरवरी 2019 को उनके खिलाफ दर्ज सिलसिलेवार झूठे मामलों में शीर्ष न्यायालय ने उन्हें किसी तरह की कठोर कार्रवाई से राहत प्रदान की थी, इसके बावजूद भी उन्हें नए मामलों में फंसाया जा रहा है। इस तरह की प्राथमिकी को यथासंभव लंबे समय तक गुप्त रखा जाता है और याचिकाकर्ता को प्रताड़ित करने के लिए अचानक ही सामने ला दिया जाता है, ताकि वह हर समय अदालती कार्यवाही में फंसा रहे और उन्हें अपना राजनीतिक करियर बनाने से रोका जा सके।
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गौरतलब है कि कभी ममता बनर्जी की करीबी आईपीएस अफसर मानी जाती रहीं भारती घोष ने 2017 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद भारती ने 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर लिया था। बीजेपी ने उन्हें घाटल लोकसभा सीट से चुनाव में उतारा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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