न्यूज एजेंसी रॉयटर के मुताबिक बैंकों ने जो कर्ज दिए हैं और कार्पोरेट गारंटी जारी की हैं, उसका हिसाब लगाया जाए तो यह नुकसान 3 अरब डॉलर यानी करीब 20,000 करोड़ से ज्यादा का हो सकता है। आयकर का कहना है कि 31 मार्च, 2017 तक बैंकों ने नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी की कंपनियों को 17,632 करोड़ रुपए रुपए के कर्ज और गारंटी जारी किए हैं। इसके बाद भी बैंक ने चोकसी और नीरव मोदी की कंपनियों को कर्ज और गारंटी दी हैं, 20,000 करोड़ के पार जा चुका हो सकता है।
आयकर विभाग ने इस बारे में एक इंटरनल नोट तैयार किया है, जिसमें पूरे मामले की विस्तृत जानकारी इकट्ठा की गई है। अन्य एजेंसियों के साथ आयकर विभाग नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों के खिलाफ टैक्स चोरी की जांच कर रहा है। इस नोट के अनुसार चूंकि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को दी गई गारंटी बैंक के लेनदेन के सिस्टम में दर्ज नहीं थी, इसलिए इस पूरे फर्जीवाड़े और घोटाले का पता नहीं चल पाया था। आयकर विभाग के नोट के मुताबिक नीरव मोदी और चोकसी की कंपनियों ने कुल 32 बैंकों से लेनदेन का किया है। इनमें यूनियन बैंक, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक शामिल हैं।
आयकर विभाग के मुताबिक नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने अपनी फर्मों में जिन लोगों को साझीदार बनाया हुआ है, उनकी हैसियत बहुत मामूली है, इससे पता चलता है कि मामा-भांजे सोचे-समझे तरीके से फर्जीवाड़े और घोटाले को अंजाम दे रहे थे।
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