बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाने का ऐलान कर इस मुद्दे को राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बना दिया है, इसी दौरान कांशीराम द्वारा स्थापित बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्यूनिटी इम्पलाइज फेडरेशन) ने जाति जनगणना की मांग को लेकर 25 मई (बुधवार को) को भारत बंद का ऐलान किया है। भारत बंद का ऐलान सिर्फ जातीय जनगणना ही नहीं बल्कि देश में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे को भी उजागर करने के लिए किया गया है।
हालांकि जातीय जनगणना की मांग लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन अभी इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के बीच कोई आम सहमति फिलहाल नहीं बनी है। लेकिन 1971 में स्थापित बामसेफ के भारत बंद के ऐलान से काफी सियासी हलचल शुरु हो गई है। सोशल मीडिया पर तो इसे लेकर काफी गतिविधियां देखने को मिलीं।
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बामसेफ के भारत बंद को सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करने वाले कई संगठनों ने समर्थन दिया है, इनमें वाम संगठन भी शामिल हैं
ध्यान रहे कि केंद्र सरकार संकेत देती रही है कि जातीय जनगणना एक विभाजन की प्रक्रिया होगी और बीजेपी सिद्धांतत: इसका विरोध करती रही है।
जातीय जनगणना के अलावा बेरोजगारी का मुद्दा उठाने के साथ ही बामसेफ ईवीएम हैकिंग और निजी क्षेत्र में एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण को लागू करने की भी मांग कर रहा है।
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बामसेफ के भारत बंद को बहुजन मुक्ति पार्टी, बहुजन क्रांति मोर्चा और राष्ट्री ओबीसी मोर्चा ने भी समर्थन दिया है। बामसेफ ने जिन मुद्दों पर भारत बंद का आह्वान किया है उनमें मुख्यत: निम्न मांगे हैं :
जाति आधारित ओबीसी जनगणना
चुनावों में ईवीएम हैकिंग
निजी क्षेत्र में एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण
पुरानी पेंशन योजान को लागू करना
एनआरसी, सीएए और एनपीआर का विरोध
किसानों को एमएसपी की गारंटी का कानून
ओडिशा और मध्य प्रदेश पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण
नए श्रम कानूनों पर सुरक्षा
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