यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जहां कर्नाटक चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं वहीं दूसरी ओर उनके ही राज्य में अस्पतालों की संवेदनहीनता की लगातार तस्वीरें सामने आ रही हैं। उनके चुनावी दौरे और जनता के प्रति जवाबदेही को लेकर विपक्ष भी लगातार सवाल खड़े कर रहा है। यूपी में बेहाल हो चुकी 108 एम्बुलेंस सेवा के चलते मरीज के शव को कहीं कंधों पर ले जाया जा रहा हैं तो कहीं परिजन मरीज को ठेले और चारपाई से ढो रहे हैं।
बदायूं में शव वाहन नहीं मिलने के कारण एक पति ने अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर लेकर घर तक ले गया। पीड़ित पति का आरोप है कि मांगने के बाद भी उसे अस्पताल से ना तो एंबुलेंस मुहैया कराई गई और ना ही शव वाहन दिए गए।
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7 मई को मूसाझाग क्षेत्र के रहने वाले सादिक ने अपनी बीमार पत्नी मुनीशा को सुबह जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। दोपहर में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। मौत के बाद गरीब सादिक ने मुख्य चिकित्साधीक्षक से वाहन शव देने की मांग की। लेकिन सादिक को शव वाहन मुहैया नहीं कराया गया। लोगों ने चंदा एकत्र कर पीड़ित को दिया, जिसके बाद वह अपनी पत्नी के शव को ऑटो से घर ले गया।
अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में दो शव वाहन हैं जो कि मांगने पर उपलब्ध कराए जाते हैं। वहीं चीफ मेडिकल ऑफिसर ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की जानकारी मीडिया के जरिए मिली है। यह निंदनीय है लेकिन हमारे पास दो शव वाहन हैं।” उन्होंने दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
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इससे पहले 3 मई को कन्नौज के हैबतपुर कतरा गांव में एम्बुलेंस सेवा न मिलने पर एक युवक अपनी पत्नी को ठेले पर पैदल नौ किलोमीटर चलकर इलाज कराने के लिए पहुंचा। पीड़ित के मुताबिक उसकी पत्नी अचनाक बीमार हो गई थी। उसने जिला 108 एम्बुलेंस सेवा की मदद लेने के लिए कई बार फोन मिलाया था। जिसके बाद मजबूरी में पति ने ठेले पर पत्नी को लिटा लिया और फिर पैदल ही अस्पताल के लिए चल दिया। इसके बाद करीब नौ किलोमीटर ठेलिया खींचकर ले गया।
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