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नजरबंदी से रिहा फारूक अब्दुल्ला से मिलने श्रीनगर पहुंचे आजाद, सरकार से की राज्य में लोकतंत्र बहाली की मांग

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला के नजरबंदी से रिहा होने के बाद आज कांग्रेस नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने उनसे श्रीनगर में मुलाकात की। आजाद ने राज्य में लोकतंत्र बहाली की मांग करते हुए सभी नेताओं को रिहा करने की मांग की।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने आज श्रीनगर में राज्य के पूर्व सीएम और लोकसभा सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला से मुलाकात की। डॉ अब्दुल्ला करीब सात महीने की नजरबंदी के बाद कल रिहा किए गए हैं। दिल्ली से दोपहर बाद श्रीनगर पहुंचे आजाद एयरपोर्ट से सीधा गुपकार इलाके में स्थित डॉ फारूक अब्दुल्ला के अवास पर पहुंचे और उन्हें रिहाई की बधाइ दी। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच करीब आधे घंटे तक बातचीत हुई।

Published: 14 Mar 2020, 7:09 PM IST

मुलाकात के बाद दोनों नेता एक साथ घर के बाहर आए। हालांकि इस दौरान सीढ़ियां उतरते हुए फारुक अब्दुल्लाह थोड़ा लड़खड़ा गए, तो साथ चल रहे आजाद ने फौरन उन्हें सहारा दिया। इसके बाद दोनों नेता साथ नीचे आए, जहां खड़े पत्रकारों से बात करते हुए गुलाम नबी आजाद केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि राज्य में लोकतंत्र की बहाली के लिए सबसे पहले राज्य के सभी नजरबंद नेताओं को रिहा किया जाए। उन्होंने कहा कि जिस राज्य में तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्री नजरबंद हों, वहां कैसा लोकतंत्र हो सकता है?

Published: 14 Mar 2020, 7:09 PM IST

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह निजी रिश्ते और लोकतंत्र की आवाज उठाने वाले सांसदों की ओर से फारूक अब्दुल्ला से मिलने आए हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही वह उन सांसदों के प्रयास के बारे में फारुख अब्दुल्ला को अवगत कराने आए हैं, जिन्होंने उनकी रिहाई के लिए प्रयास किए हैं। आजाद ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला को सात महीने से अधिक समय तक घर में नजरबंद रखा गया। आज भी इसकी वजह किसी को नहीं पता। आजाद ने पूछा कि आखिर उन्होंने ऐसा कौन सा काम किया है, जिसके लिए उनको इतने दिन तक नजरबंद किया गया।

Published: 14 Mar 2020, 7:09 PM IST

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर कश्मीर को खुशहाल करना चाहते हैं, तो यहां लोकतंत्र बहाल करने के लिए सभी राजनीतिक प्रक्रियाओं को शुरू करने की जरूरत है और उसके लिए सभी नेताओं को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। इसके बाद उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में विभाजित करने का फैसला राज्य के लोगों का अपमान है। इसे निरस्त कर जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य घोषित किया जाना चाहिए।

Published: 14 Mar 2020, 7:09 PM IST

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Published: 14 Mar 2020, 7:09 PM IST