अयोध्या मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। 6 अगस्त से इस मामले को लेकर रोजाना सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने रामजन्म स्थान पुनरुद्धार समिति के वकील से सबूत पेश करने को कहा। वहीं रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो लोगों की आस्था होना काफी है यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है।
Published: 21 Aug 2019, 5:13 PM IST
वैद्यनाथन ने कहा, “जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उस संपत्ति को ले नहीं सकता और उस संपत्ति से ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता। एक मंदिर हमेशा मंदिर ही रहता है, संपत्ति को आप ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं। मूर्ति किसी की संपत्ति नहीं है, मूर्ति ही देवता हैं।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा। वैद्यनाथन ने कहा कि अगर जमीन हमारी है और किसी ओर के द्वारा गैरकानूनी तौर पर कोई ढांचा खड़ा कर लिया जाता है तो जमीन उनकी नहीं होगी।
Published: 21 Aug 2019, 5:13 PM IST
रामलला के वकील ने आगे कहा कि मंदिर में विराजमान रामलला कानूनी तौर पर नाबालिग का दर्जा रखते हैं और नाबालिग की संपत्ति किसी को देने या बंटवारा करने का फैसला नहीं हो सकता। उन्होंने आगे कहा कि हजारों साल से लोग राम जन्मस्थान की पूजा कर रहे हैं और इस आस्था को सुप्रीम कोर्ट को मान्यता देना चाहिए।
Published: 21 Aug 2019, 5:13 PM IST
दूसरी और रामजन्म भूमि पुनरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अपनी दलीलें रखी। उन्होंने कहा कि सबसे पहले धार्मिक मान्यताओं के आधार पर साबित करूंगा कि अयोध्या में जन्मभूमि पर हमेशा से मंदिर रहा है। जिस पर सीजेआई मे कहा कि आस्था पर सवाल नहीं है, सवाल राम के जन्मस्थान को लेकर है। हमें सबूत दिखाइए।
इससे पहले मंगलवार को रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि जहां मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे एक विशाल निर्माण था। एएसआई की खुदाई के दौरान जो चीजें मिली, उससे स्पष्ट है कि वह हिंदू मंदिर था।
Published: 21 Aug 2019, 5:13 PM IST
बता दें कि मध्यस्थता पैनल द्वारा मामले का समाधान नहीं निकलने पर कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं। नियमित सुनवाई तब तक चलेगी, जब तक कोई नतीजा नहीं निकल जाता।
Published: 21 Aug 2019, 5:13 PM IST
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Published: 21 Aug 2019, 5:13 PM IST