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अयोध्या विवाद: निर्मोही आखाड़ा का कोर्ट में दलील, कहा- सैकड़ों साल तक राम जन्मस्थान पर हमारा था नियंत्रण

सुप्रीम कोर्ट राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मंगलवार से रोजाना सुनवाई कर रहा है।निर्मोही आखाड़ा ने कोर्ट में कहा कि सैकड़ों साल तक अंदर के परिसर और राम जन्मस्थान पर हमारा नियंत्रण था।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। निर्मोही आखाड़ा के वकील सुशील कुमार जैन ने सुनवाई के दौरान कहा कि मुकदमा मूलत: वस्तुओं, मालिकाना हक और प्रबंधन अधिकारों को लेकर है। निर्मोही अखाड़ा के वकील ने पक्ष रखते हुए कहा कि उनका 100 सालों से विवादित जमीन पर कब्जा रहा है।

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वकील सुशील कुमार जैन ने अखाड़े का पक्ष रखते हुए दलील रखी कि विवादित स्थल के अंदरूनी हिस्से पर पहले अखाड़े का हक था। जैन ने आगे कहा, “सैकड़ों साल तक अंदर के परिसर और राम जन्मस्थान पर हमारा नियंत्रण था। बाहरी परिसर जिसमें सीता रसोई, चबूतरा, भंडार गृह हैं, वे आखाड़ा के नियंत्रण में थे और किसी मामले में उनपर कोई विवाद नहीं था।”

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जैन ने आगे कहा कि हमारा 100 साल से कब्ज़ा था। यह जगह राम जन्मस्थान के नाम से जानी जाती है। यह पहले निर्मोही अखाड़े के कब्जे में थी। 1934 से ही किसी भी मुसलमान को वहां प्रवेश की अनुमति नहीं थी। बाद में दूसरे पक्षकार ने बलपूर्वक हमारी जमीन को कब्ज़े में ले लिया।

निर्मोही आखाड़ा ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया और इस क्षेत्र का प्रबंधन और नियंत्रण की मांग की। निर्मोही अखाड़े की तरफ से इस मामले के इतिहास और बाबर शासन काल का जिक्र किया जा रहा है।

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सुनवाई के दौरान सीजेआई ने निर्मोही आखाड़ा से कहा कि वह अपनी दलीलों को दीवानी विवाद मामले तक ही सीमित रखे। निर्मोही आखाड़ा के वकील ने भूमि विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निष्कर्षों का हवाला दिया। न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव धवन से कहा कि हम किसी की दलीलों को छोटा नहीं करना चाहते, कोर्ट की गरिमा बनाए रखें।

निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि मुस्लिम कानून के तहत कोई भी व्यक्ति जमीन पर कब्जे की वैध अनुमति के बिना दूसरे की जमीन पर मस्जिद निर्माण नहीं कर सकता है। ऐसे में जबरन कब्जाई गई जमीन पर बनाई गई मस्जिद गैर इस्लामिक है और वहां पर अदा की गई नमाज कबूल नहीं होती है।

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बता दें कि अयोध्या मामले में मध्यस्थता विफल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज से रोजाना सुनवाई करने का फैसला किया था। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं।

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