सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या मामले का विवाद बातचीत के जरिए सुलझाने का रास्ता अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद तय किया गया है कि इस मामले को मध्यस्थता के जरिए सुलझाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एक तीन सदस्यीय पैनल बनाया है जिसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस इब्राहीम कलीफुल्लाह होंगे। पैनल में बाकी दो सदस्य आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जो महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं वह इस तरह हैं:
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर पैनल को लगता है कि पैनल में और सदस्य होने चाहिए, तो वह इसकी मांग कर सकता है और उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में पैनल सदस्य और फैजाबाद में सारी सुविधाएं मुहैया कराएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि पैनल और मध्यस्थ चाहें तो इस मामले मेें जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह भी ले सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट फैसले का निर्मोही अखाड़े से जुड़े लोगों ने स्वागत किया है। वहीं, महंत राजू दास का कहना है कि क्या अयोध्या में संत नहीं थे जो मध्यस्थता के लिए श्री श्री रविशंकर को भेजा जा रहा है। साफ पता चल रहा है कि मामले को फिर से लटकाने की कोशिश हो रही है।
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि, “हम पहले ही मध्यस्थता में सहयोग देने की बात कह चुके हैं। अब जो कुछ भी कहना होगा वह हम मध्यस्थता पैनल के सामने ही कहेंगे।
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उधर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मध्यस्थता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मध्यस्थता से इस मामले को कोई हल नहीं हो सका है।
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जामा मस्जिद की ओर से पक्षकार हाजी महमूद ने सुप्रीम कोर्ट के फैसल पर कहा है कि अच्छी बात है मसले का जल्दी हल हो बेहतर है। इस मसले को जल्द से जल्द हल कर लिया जाए तो बेहतर होगा। इसके अतिरिक्त नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम फैसला है।
गौरतलब है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद मध्यस्थता के लिए नाम सुझाने को कहा था। सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबडे ने कहा है कि इस मामले में मध्यस्थता के लिए एक पैनल का गठन होना चाहिए।
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