मोदी सरकार द्वारा मणिपुर के शांत होने के किए जा रहे दावों के बीच राज्य में अब पुलिस और सेना के जवानों पर हमले शुरू हो गए हैं। आज राज्य के बिष्णुपुर जिले के त्रोंग्लोबी में कुकी उग्रवादियों ने एक पुलिस गश्ती दल पर हमला कर दिया, जिसमें मणिपुर पुलिस के एक कमांडो की मौत हो गई और चार अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। इंफाल में एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि कुकी उग्रवादियों के खिलाफ एक अभियान के दौरान कमांडो हिसनाम जितेन की मौत हो गई और चार अन्य पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए।
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मणिपुर में पुलिस और सुरक्षा बलों पर उग्रवादियों द्वारा किया गया यह हमला 24 घंटे से भी कम समय के भीतर दूसरा हमला है। इससे पहले कुकी चरमपंथियों ने इंफाल पूर्वी जिले के दोलाईताबी में सेना और असम राइफल्स की टीम पर तब गोलीबारी कर दी, जब वह इलाके में गश्त कर रहे थे। इस हमले में असम राइफल्स का एक जवान घायल हो गया था। रक्षा सूत्रों ने कहा कि हथियारबंद आतंकवादी कुछ राउंड फायरिंग के बाद भाग गए थे। फायरिंग में गोली लगने से घायल हुए असम राइफल्स के जवान को सेना के एक हेलीकॉप्टर से सुरक्षित सैन्य अस्पताल पहुंचाया गया।
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इस बीच, मणिपुर सरकार के नवनियुक्त सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने कहा कि हाल ही में राज्य में हुई हिंसा में अब तक 66 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि खुंबोंग में लापता दो लोगों की तलाश की जा रही है। 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद, उपद्रवियों और आंदोलनकारियों ने सुरक्षाबलों से 1,041 हथियार और 7,460 गोला-बारूद छीन लिया था।
हालांकि, सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में समग्र स्थिति में और सुधार हुआ है। अधिकारियों ने इंफाल पश्चिम और चुराचांदपुर सहित 11 जिलों में सुबह 4 से 8 घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी, जबकि संवेदनशील क्षेत्रों में सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों ने अपनी सतर्कता जारी रखी। राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवा 13 मई तक बंद कर दी गई है।
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विभिन्न जिलों में तनावग्रस्त और हिंसा प्रभावित इलाकों में सेना और असम राइफल्स की कुल 128 टुकडियां तैनात हैं, जो फ्लैग मार्च कर रही हैं। केंद्रीय बल ड्रोन और हेलीकॉप्टरों का उपयोग करते हुए चौबीसों घंटे हवाई निगरानी भी कर रहे हैं। बुधवार को एक रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया था कि मणिपुर में भारतीय सेना की त्रिस्तरीय वर्चस्व की रणनीति राज्य को सामान्य स्थिति में लौटने में मदद कर रही है। इसमें कहा गया है था कि सेना न केवल भीतरी इलाकों में बल्कि भारत-म्यांमार सीमा पर भी संकटग्रस्त क्षेत्रों की निगरानी में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
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बता दें कि 3 मई को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा आहूत 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद मणिपुर के 10 से अधिक जिलों में अभूतपूर्व हिंसक झड़प शुरू हो गई। उपद्रवियों ने मैतेई समुदाय को निशाना बनाते हुए सैकड़ों घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया। जवाबी हमलों में भी कई घरों, वाहनों समेत सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
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