लगभग पूरा असम इस समय भयावह बाढ़ की चपेट में है। बाढ़ के कारण कई लोगों की मौत हो गई है, जबकि लाखों लोग विस्थापित हुए हैं। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री हिमन्त बिश्व शर्मा ने एक तरह से हाथ खड़े करते हुए बाढ़ की स्थिति के लिए भौगोलिक कारकों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि इन पर राज्य का कोई नियंत्रण नहीं है।
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कामरूप जिले में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने के बाद उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में बाढ़ की दूसरी भीषण लहर की मुख्य वजह पड़ोसी राज्य अरूणाचल प्रदेश में बादल का फटना है।’’ उन्होंने कहा कि चीन, भूटान और अरूणाचल प्रदेश के ऊंचे इलाकों में भारी वर्षा के कारण असम में बाढ़ आयी है और यह ‘हमारे नियंत्रण के बाहर’ है। शर्मा ने कहा कि इन सालों में बाढ़ नियंत्रण के कई कदम उठाए गए हैं और बाढ़ का प्रभाव और लोगों की परेशानियां भी काफी कम हुई हैं लेकिन हमें हरसंभव तरीके से प्राकृतिक परिणामों से निपटना है।’
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मुख्यमंत्री ने गराल भट्टपारा गांवबुराह घाट पर स्थिति की समीक्षा की और खना नदी पर धारपुर जंगारबाड़ी गेट का मुआयना भी किया। उन्होंने लोगों को क्षतिग्रस्त तटबंधों और सड़कों की मरम्मत कराने तथा राहत शिविरों में ठहरे लोगों को खाने-पीने की चीजें एवं दवाइयां उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। सरमा बाढ़ के पानी में डूबे क्षेत्रों में ‘लाइफ जैकेट’ पहने एक रबर बोट में अधिकारियों के साथ घूमते नजर आये।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि वह गुरुवार को माजुली जायेंगे जहां तटबंध टूट गया है और काफी बड़ा क्षेत्र पानी में डूब गया है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम यह सुनिश्चित करने के लिए रात-दिन लगे हैं कि तटबंध और कहीं न टूटे।’’ उन्होंने कहा कि कई प्रभावित जिलों में वर्षा में कमी आयी है और ‘यदि ऐसा ही रूझान जारी रहा तो स्थिति एक सप्ताह में सुधरने की उम्मीद है।’
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शर्मा ने कहा, ‘‘लेकिन यदि जलग्रहण क्षेत्रों में निरंतर वर्षा होती रही तो स्थिति गंभीर बनी रहेगी और फिर हमें उस हिसाब से उससे निपटना होगा।’’ उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की सबसे बड़ी ताकत उनका ‘धैर्य’ है तथा यह वैसे समय में नजर आता है जब बाढ़ से उत्पन्न चुनौतियों से हम सामूहिक रुप से निपटने को ठान लेते हैं। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को ऊपरी असम के गोलाघाट जिले और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की थी।
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