दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। लंबे समय से चले आ रहे विवाद पर दो जजों की पीठ के फैसले के बाद भी मामला अभी पूरी तरह से सुलझा नहीं है। सुनवाई के दौरान कुछ मुद्दों पर दोनों जजों के अलग-अलग मत रहे। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि ज्वाइंट सेक्रेटरी और उससे ऊपर के अधिकारियों का ट्रांसफर एलजी करेंगे, जबकि अन्य अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग दिल्ली सरकार कर सकेगी। वहीं केंद्रीय कैडर के अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर दोनों जजों में मतभेद देखने को मिला। इसलिए इस मुद्दे को बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस सीकरी ने कहा, “इसमें पारस्परिक सम्मान और सहयोग की आवश्यकता है। दोनों को समझना चाहिए कि वे यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं।” बिजली बोर्ड, सरकारी वकील नियुक्त करने का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है। सेवा के मामले पर जस्टिस भूषण की राय एक नहीं थी। इस मसले पर जस्टिस भूषण का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर के अधिकार दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। मतभेद की वजह से इस मसले को तीन जजों की बेंच के पास भेजा जाएगा।
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वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने छह मुद्दों पर फैसला सुनाया है। इसमें से चार केंद्र के पक्ष में गए हैं। एसीबी, ग्रेड 1 और ग्रेड 2 अधिकारियों के पोस्टिंग और ट्रांसफर, कमिशन ऑफ इंक्वायरी केंद्र के अधीन होंगे।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “67 सीट जीतने वाली पार्टी को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार नहीं है, लेकिन जिस पार्टी को सिर्फ तीन सीट मिलीं, वह ट्रांसफर-पोस्टिंग करेगी।”
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उन्होंने आगे कहा, मेरे पास कोई शिकायत लेकर आएगा, तो मैं किसे कहूंगा? हम कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं, लेकिन इसका एक ही समाधान है, जो दिल्ली की जनता के पास है।”
बता दें कि अधिकारों को लेकर जारी जंग के बीच सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने पिछले साल केजरीवाल सरकार और एलजी दोनों को कुछ हिदायतें दी थीं। सुप्रीम कोर्ट ने था कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य सबसे ऊपर हैं, संसद का बनाया कानून ही सर्वोच्च है क्योंकि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं प्राप्त है।
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