जयपुर के शाहीन बाग के नाम से मशहूर शहीद स्मारक पर सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को संबोधित करते हुए मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि मोदी सरकार का दिमाग हालांकि मुसलमानों के विरोध में काम करता है, लेकिन सीएए-एनपीआर-एनआरसी की पूरी प्रक्रिया आम जनता के खिलाफ है।
प्रदर्शनकारियों से अपना अनुभव बांटते हुए बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका ने कहा कि उन्होंने खुद असम का हाल देखा है, जहां बीजेपी की सरकार ने यह सोचकर सीएए लागू किया कि वो मुसलमानों के खिलाफ है, लेकिन अंतत वो आम जनता के खिलाफ निकला - खासतौर गरीबों को इससे बेहद परेशानी का सामना करना पड़ा। आखिरकार 20 लाख लोग सीएए की सालों साल चलने वाली लंबी चौड़ी प्रक्रिया से बाहर हो गए।
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प्रदर्शनकारियों के हौसले की तारीफ करते हुए अरुंधति रॉय ने कहा कि उनके प्रदर्शन की आवाज़ पूरी दुनिया में बुलंद हुई है। अरुंधति रॉय ने कहा - “ हमें मिनटों के अंदर एक दूसरे की मदद के लिए एकत्रित हो जाना चाहिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम हमेशा सड़क पर ही जमा रहें लेकिन हमारा दिमाग हमारा दिमाग सड़क पर होना चाहिए। आप जब केवल हमारे लिए लड़ते हैं वो इंसाफ की लड़ाई नहीं होती. जब दूसरे के लिए लड़ते हैं तब वो इंसाफ की लड़ाई होती हैय़”
बीजेपी की ट्रोल आर्मी और मीडिया चैनलों के उस दावे को खारिज करते हुए कि सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ केवल मुसलमान संघर्ष कर रहे हैं, अरुंधति ने कहा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इस कानून के खिलाफ हिंदू मुसलमान सब एक साथ लड़ रहे हैं. सबको एक दूसरे के लिए संघर्ष करना होगा।
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