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अरुण जेटली का रघुराम राजन पर पलटवार, कहा-जीएसटी ऐतिहासिक सुधार, सिर्फ निंदकों को नहीं दिखता विकास

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को देश के ऐताहासिक आर्थिक सुधार की संज्ञा देते हुए पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कुछ आलोचक और निंदक कहते हैं कि इससे विकास दर धीमी हुई, लेकिन यह समझदारी से लागू किया गया बड़ा सुधार है।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और वित्त मंत्री अरुण जेटली की फाइल फोटो

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा पिछले साल भारत की विकास दर में गिरावट के लिए नोटबंदी और जीएसटीको जिम्मेदार ठहराने जाने के बयान पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को पलटवार किया। अरुण जेटली ने बैंकिंग व्यवस्था में फैली अव्यवस्था के लिए भी आरबीआई पर निशाना साधा।

उन्होंने यूनियन बैंक के सौंवें स्थापना दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि, 'कुछ आलोचक और निंदक कहते हैं कि जीएसटी ने आर्थिक वृद्धि को धीमा किया है, लेकिन यह सुचारू रूप से लागू किया गया महत्वपूर्ण सुधार है।'

उन्होंने कहा कि, “जीएसटी से सिर्फ दो तिमाही में विकास दर में गिरावट आई थी, लेकिन लोग भूल जाते हैं कि इसके बाद से विकास दर में तेज़ी बनी हुई है।” उन्होंने कहा कि दो तिमाही तक विकास दर में गिरावट के बाद यह बढ़कर सात फीसदी पहुंच गई और उसके बाद 7.7 फीसदी। आखिरी तिमाही में यह 8.2 फीसदी रही। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि 2012-14 के दौरान 5-6 फीसदी विकास दर की तुलना में यह विकास दर काफी ज्यादा है।

बैंकिंग सिस्टम में बढ़ रहे फंसे कर्ज यानी एनपीए पर जेटली ने कहा कि बैंकों के एनपीए को कम करने की जरूरत है और इस संबंध में उठाए कदमों के नतीजे दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली को मजबूती देने और भारत की विकास दर को सहारा देने के लिए हमें अपने एनपीए को कम करने की जरूरत है। इसके लिए विभिन्न तरह के विकल्प अपनाए जा रहे हैं।

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ौरतलब है कि रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा था कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से पिछले साल भारत की आर्थिक विकास दर में गिरावट आई। उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि मौजूदा सात फीसदी की विकास दर देश की जरूरतों के लिए पर्याप्त नहीं है।

बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में शुक्रवार को राजन ने कहा था कि नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से पहले चार साल (2012 से 2016) तक भारत की विकास दर की रफ्तार काफी तेज रही। उन्होंने कहा था कि, 'नोटबंदी तथा जीएसटी जैसे लगातार दो झटकों का भारत की विकास दर पर गंभीर असर पड़ा। विकास दर ऐसे वक्त में गिर गई, जब वैश्विक अर्थव्यवस्था उछाल मार रही थी।'

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