इंसानों को एक बार फिर चांद और उसके बाद पहली बार मंगल ग्रह पर ले जाने वाले अमेरिकी स्पेस एजेंसी के मिशन अर्टेमिस-1 को फिलहाल टालना पड़ा है। पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार आज 29 अगस्त 2022 को लॉन्च से ठीक पहले वैज्ञानिकों को अर्टेमिस में ईंधन रिसाव और दरार नजर आया, जिसके बाद मिशन को टाल दिया गया। दुनिया का सबसे ताकतवर और बड़ा रॉकेट फ्लोरिडा स्थिति केनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड पर तैनात है। फिलहाल इसके काउंटडाउन को रोक दिया गया है।
अर्टेमिस 1 अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का बेहद महत्वपूर्ण मिशन है। नासा इस स्पेस लॉन्च सिस्टम के जरिए ओरियन स्पेसशिप को चांद के चारों तरफ चक्कर लगाकर वापस आने के लिए भेज रहा है, ताकि साल 2025 में इंसानों को चांद की सतह पर उतारने के लिए अर्टेमिस मिशन का अगला हिस्सा भेजा जा सके। लेकिन फिलहाल आज के लॉन्च में देरी के बाद मिशन को टाल दिया गया है।
Published: undefined
आर्टेमिस के तहत नासा के मानव दल रहित 322 फुट लंबे स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट को फ्लोरिडा के केनेडी अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाना था। लॉन्च की तैयारी दशकों से चल रही थी। इस उड़ान को आर्टेमिस वन कहा जा रहा है और इसका लक्ष्य एसएलएस रॉकेट और उसके ऊपर लगे मानव दल को ले जाने वाले कैप्सूल ओरायन का परीक्षण करना है। यह कैप्सूल चांद के चक्कर काटेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि यान निकट भविष्य में इंसानों के यात्रा करने के लिए सुरक्षित है या नहीं। योजना आगे चलकर एक महिला और एक अश्वेत व्यक्ति को पहली बार चांद पर भेजने की है।
Published: undefined
इससे पहले नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने शनिवार 27 अगस्त को कहा कि यह मिशन कई उम्मीदों और कई लोगों के सपनों के साथ शुरू हो रहा है और हम अब आर्टेमिस पीढ़ी हैं। रविवार को उसकी ईंधन टंकियों को भरने का काम शुरू किया गया। इसमें एक घंटे की देर भी हुई क्योंकि आसमान से बिजली गिरने का खतरा बढ़ गया था। रॉकेट में तीस लाख लीटर से भी ज्यादा लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन भरा गया है। सोमवार को भी लॉन्च से पहले नासा को ईंधन भरने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा।
Published: undefined
इस मिशन के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक कैप्सूल के गर्मी के कवच का परीक्षण करना है। 16 फुट व्यास वाला यह कवच अभी तक का सबसे बड़ा कवच है। कैप्सूल के पृथ्वी के वातावरण में वापस आते समय इस कवच को करीब 40,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति और 2,760 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहना होगा। यह सूरज की गर्मी की आधी तीव्रता के बराबर है। दल के असली सदस्यों की जगह यान में डमी बैठाए जाएंगे। इनमें सेंसर लगे होंगे जो गति का बढ़ना, कंपन और रेडिएशन के स्तर को रिकॉर्ड करेंगे। यान छोटे सैटेलाइटों को छोड़ेगा जो चांद की सतह का अध्यनन करेंगी।
Published: undefined
इसके बाद अर्टेमिस दो नाम का अगला मिशन अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर उतारे बिना उसके इर्द गिर्द कक्षा में ले जाएगा। अर्टेमिस तीन के दल का लक्ष्य है 2025 तक चांद पर उतरना होगा। चूंकि इंसान चांद पर पहले ही पहुंच चुका है, इसलिए अर्टेमिस की नजर इससे भी महत्वाकांक्षी लक्ष्य पर है और वो है मंगल ग्रह पर एक मानव मिशन ले जाना। आर्टेमिस मिशन का लक्ष्य चांद पर स्थायी इंसानी मौजूदगी कायम करने की है। इसके तहत चांद की कक्षा में लगातार घूमने वाला गेटवे नाम का केंद्र बनाने और चांद की सतह पर एक अड्डा बनाने का लक्ष्य है। गेटवे मंगल ग्रह की यात्रा के लिए एक रुकने और ईंधन भरने के केंद्र का काम करेग। मंगल ग्रह की यात्रा कम से कम भी कई महीनों लंबी होगी।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined