पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को केंद्र पर बड़ा आरोप लगाते हुए दावा किया कि राज्य में सांप्रदायिक और जातीय हिंसा भड़काने के लिए दिल्ली से अलग-अलग टीमें बंगाल आ रही हैं। कालियाचक, कालियागंज और गजोल जैसी जगहों पर हिंसा भड़काने की कोशिश की जा रही है। सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के अलावा, वह विभिन्न जातियों के लोगों के बीच तनाव पैदा करने की भी कोशिश कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को मालदा में प्रशासनिक समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “दिल्ली से 25 सदस्यीय टीम इन जगहों पर जा रही है और बैठकें कर रही है। उनमें से कुछ अल्पसंख्यक युवाओं को नापाक गतिविधियों में शामिल होने के लिए पैसे की पेशकश कर रहे हैं। लोग दंगे नहीं चाहते हैं, केवल कुछ अनैतिक राजनीतिक नेता दंगे पसंद करते हैं।
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ममता ने उत्तर दिनाजपुर जिले के कलियागंज से सटे भारत-बांग्लादेश सीमा के पास रंजबंशी युवक मृत्युंजय बर्मन (33) की हालिया हत्या में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की भूमिका पर भी संदेह व्यक्त किया। जबकि विपक्षी बीजेपी दावा करती आ रही है कि बंगाल पुलिस की गोलीबारी में बर्मन मारा गया था।
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सीएम ममता बनर्जी ने इस मामले में साजिश का संदेह जताया है। ममता ने कहा- मैंने सुना है कि जिस गांव में युवक मारा गया वह गांव पूरी तरह से बीएसएफ के नियंत्रण में है, जो अब अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर 50 किमी तक काम कर सकती है। गोली किसने चलाई? गोली कहां से चलाई गई? यह सब जांच करने की जरूरत है।
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इस बीच, बंगाल बीजेपी के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने बीएसएफ पर संदेह करने के लिए मुख्यमंत्री की कड़ी आलोचना की। भट्टाचार्य ने कहा, यह पहली बार नहीं है कि मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी के नेताओं ने हमारी सीमाओं की रक्षा करने वाले बीएसएफ कर्मियों को बदनाम करने की कोशिश की है। वह इस तरह की टिप्पणियों के जरिए केवल अपराधीकरण को बढ़ावा दे रही हैं।
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