केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार अब तक कितना काला धन बरामद कर चुकी है? आरटीआई कार्यकर्ता संजीव चतुर्वेदी ने जब इस सवाल का जवाब एक आरटीआई अर्जी दाखिल कर सरकार से पूछा तो प्रधानमंत्री कार्यालय ने जवाब दिया कि ऐसी सूचना देने से कालेधन की एसआईटी जांच में बाधा पड़ सकती है। आरटीआई अर्जी में दूसरा सवाल था कि मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कितने मामले दर्ज हैं और इस पर सरकार ने क्या कार्यवाही की है? इस पर पीएमओ ने कहा है कि, “इससे (ऐसी सूचना से) हमारे संसाधनों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।”
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ये खुलासे उस याचिका से हुए हैं जो पूर्व आईएफएस अधिकारी और आरटीआई कार्यकर्ता संजीव चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। चतुर्वेदी ने दिसंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की थी कि इन सवालों के जवाब देने के लिए कोर्ट पीएमओ को निर्देश जारी करे। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और चार सप्ताह में नोटिस का जवाब देने को कहा है। कोर्ट ने सरकार को आरटीआई अर्जी में मांगी जानकारियां उपलब्ध कराने को कहा है।
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मशहूर वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने संजीव चतुर्वेदी की तरफ से याचिका दायर की है। उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी है।
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गौरतलब है कि संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में पीएमओ में आरटीआई अर्जी दाखिल की थी और कालेधन की बरामदगी के साथ ही मोदी सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी मांगी थी। लेकिन सरकार ने यह जानकारियां देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद संजीव चतुर्वेदी ने अक्टूबर 2018 में सीआईसी में अर्जी दी। सीआईसी के आदेश पर पीएमओ ने जानकारी तो दी, लेकिन काफी गोलमोल जवाब दिए।
इसके बाद सितंबर 2019 में चतुर्वेदी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपील की, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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