ओमिक्रॉन से संक्रमित होने के बाद शरीर में जो एंटीबॉडी विकसित होती है, वो ना केवल ओमिक्रॉन से लड़ती है, बल्कि कोविड के डेल्टा वैरिएंट को भी बेअसर कर सकती है।
भारत सहित दुनिया भर में तेजी से फैलते ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामलों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने अपने एक नए शोध (स्टडी) में दावा किया है।
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अध्ययन के बाद कहा गया है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ विशिष्ट वैक्सीन रणनीति की आवश्यकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन में पता चला है कि कोविड-19 के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित व्यक्तियों में महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है, जो न केवल ओमिक्रॉन को बल्कि सबसे प्रचलित डेल्टा वैरिएंट सहित अन्य वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न को भी बेअसर कर सकती है।
अध्ययन में ओमिक्रॉन वैरिएंट (बी.1.1529 और बीए.1) से संक्रमित व्यक्तियों के सेरा के साथ बी.1, अल्फा, बीटा, डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट के विरुद्ध आईजीजी और न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी (एनएबीएस) का विश्लेषण किया। यह सुझाव देता है कि ओमिक्रॉन द्वारा प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया डेल्टा वैरिएंट को प्रभावी ढंग से बेअसर कर सकती है, जिससे डेल्टा के साथ पुन: संक्रमण की संभावना कम हो जाती है और इस वैरिएंट को प्रमुख स्ट्रेन के रूप में विस्थापित कर देता है।
अध्ययन में ओमिक्रॉन-विशिष्ट वैक्सीन रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
यह अध्ययन 39 व्यक्तियों पर किया गया, जिनमें से 25 ने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की दोनों डोज ली थी, आठ लोगों ने फाइजर की दोनों डोज ली थी, जबकि छह का वैक्सीनेशन नहीं हुआ था।
इन 39 लोगों में से 28 विदेश से लौटने वाले लोग थे और बाकी उनके उच्च जोखिम वाले संपर्क थे।
शोध में कहा गया है, हमारे अध्ययन ने ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्तियों में पर्याप्त प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया। तटस्थ एंटीबॉडी ओमिक्रॉन और वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (वीओसी) को प्रभावी ढंग से बेअसर कर सकती है, जिसमें सबसे प्रचलित डेल्टा वैरिएंट भी शामिल है।
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