हरियाणा में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के बाद मनोहर लाल खट्टर सरकार गंभीर सवालों के घेरे में है। सवाल यह है कि क्या राज्य की बीजेपी सरकार के कर्मचारी चयन आयोग की नौकरी भर्ती प्रक्रिया जालसाजी और धोखाधड़ी का जरिया बन गई है। आंकड़े और हालात तो इसी बात की तस्दीक कर रहे हैं। यह पेपर कोई पहली बार लीक नहीं हुआ है, बल्कि आरोप है कि 28वीं बार ऐसा हुआ है।
भर्ती परीक्षा में भदावरी भैंस का उत्पत्ति स्थान क्या है जैसे पूछे गए सवाल और उत्तर प्रदेश में 2005 में हुई एक परीक्षा से तमाम प्रश्नों का मिलना इस बात पर मुहर है कि किस तरह युवाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को तत्काल बर्खास्त करने के साथ ही उच्च न्यायालय की देखरेख में सीबीआई जांच की मांग की है।
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हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा बेशक सरकार ने रद्द कर दी है, लेकिन इससे सवाल कम होने की जगह संदेह और गहरा हो गया है। जिस तरह 12 से 18 लाख में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर बेहद दुस्साहस के साथ बेचा गया, वह माफिया और सफेदपोशों के बीच गठजोड़ की तस्दीक है। इससे भी गंभीर बात यह है कि 7 अगस्त को सुबह और शाम की परीक्षा में जिस तरह के सवाल प्रश्न पत्र में पूछे गए वह कर्मचारी चयन आयोग के तौर-तरीके बयां कर रहा है।
कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में पूछे गए- अपरीक्षित युवा सांड छांटने का एकमात्र सर्वोत्तम आधार है-, पशुओं में चीचड़ी बुखार का रोग होता है-, एक संकर बछिया की प्रथम ब्यांत की आयु होती है-, भदावरी भैंस का उत्पत्ति स्थान है-, निम्न में से कौन सी भारवाही गाय की नस्ल है-, भदावरी भैंस के दूध में वसा का अधिकतम प्रतिशत होता है-, सांड की नाक में छल्ला पहनाना चाहिए-, चार सौ किलोग्राम भारी गाय के लिए शुष्क पदार्थ की दैनिक आवश्यकता है-, दूध दुहने की सर्वोत्तम विधि है-, गाय और भैंस किस परिवार से संबंधित हैं- जैसे सवाल युवाओं के साथ मजाक है, जिनका पुलिस कांस्टेबल की जिम्मेदारियों और उसके दायरे से कोई लेना-देना नहीं है।
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इस पुलिस कांस्टेबल की भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले 8,39000 युवाओं यानि हर पांचवें हरियाणवी परिवार के साथ यह मजाक किया गया है। 28वीं बार लीक हुए पेपर के बाद सवाल यह भी उठ रहा है कि कर्मचारी चयन आयोग की ओर से हर साल गोपनीयता पर खर्च हो रहे 28 करोड़ रुपये फिर कहां जा रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर हमला बोलते हुए सवाल किया है कि पेपर कंडक्ट करवाने का ठेका तथाकथित तौर पर हैदराबाद की कंपनी को देने के बाद यह स्वाभाविक है कि अगले सारे पेपर भी इसी कंपनी के पास होंगे। जब सीधे शक के दायरे में कर्मचारी चयन आयोग, हैदराबाद की कंपनी और सरकार में बैठे सफेदपोश हैं तो फिर निष्पक्ष जांच कैसे होगी और सजा कैसे मिलेगी?
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सुरजेवाला ने सवाल किया कि अगर कांस्टेबल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक न भी होता तो क्या इस पेपर के आधार पर कांस्टेबल की भर्ती हो सकती थी। जिस प्रकार हरियाणा पुलिस की भर्ती में बेतुके और बिना सिर-पैर के सवाल पूछे गए उनका कांस्टेबल की नौकरी से न कोई सरोकार है और न संबंध। सुरजेवाला ने कहा कि असल में ऐसे सवाल पूछकर खट्टर सरकार योग्य युवाओं के बजाए सिफारिशी और चहेते लोगों की भर्ती करने का प्रयास कर रही है। कानून-व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण, पुलिस एक्ट, भारत का संविधान और क्राइम इन्वेस्टिगेशन से जुड़े सवाल प्रश्नपत्र में पूछे गए होते तो बात समझ में आती, लेकिन जिस प्रकार से प्रश्न पूछे गए और पेपर लीक हुआ और सरेआम बेचा गया वह प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ भद्दा मजाक है।
अनुमान है कि युवाओं व उनके माता-पिता का इस भर्ती परीक्षा की तैयारी, कोचिंग, शारीरिक शिक्षा, परीक्षा शुल्क जमा कराने और आने-जाने में सौ करोड़ की राशि खर्च हुई, लेकिन नतीजा क्या निकला। सुरजेवाला ने कहा कि हैरतअंगेज करने वाली बात यह है कि हरियाणा पुलिस कांस्टेबल के 7 अगस्त को हुए दोनों पेपरों में पशुपालन और कृषि के सवाल हूबहू उत्तर प्रदेश के 2005 के प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक चयन परीक्षा (कृषि) से नकल मारकर लिए गए हैं।
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रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सच्चाई यह है कि प्रदेश में नौकरियां और पेपर बिक्री की मंडी चल रही है, जिसके लिए खट्टर-चौटाला सरकार जिम्मेदार है। बिना खर्ची और बिना पर्ची के जुमले दिखाकर सत्ता में आई बीजेपी-जेजेपी सरकार ने पेपर बिक्री और खर्ची तंत्र स्थापित कर दिया है। सुरजेवाला ने कहा कि यह मध्य प्रदेश के व्यापमं से भी बड़ा नौकरी घोटाला है। इस सरकार की ऐसी कोई भर्ती नहीं है, जो कालिख से न पुती हुई हो। नायब तहसीलदार जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा का पेपर लीक हो गया। गिरफ्तारियां हुईं, मुकदमेबाजी का नाटक हुआ, लेकिन पेपर लीक को न केवल बेशर्मी से नकार दिया गया बल्कि हाईकोर्ट में तमाम तिकड़म लगाकर भर्ती पूरी गई।
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सुरजेवाला ने आगे कहा कि दो बार क्लर्क की हुई भर्ती में एक से अधिक लोकेशन पर पेपर लीक हुए। फिर दौर आया ऑनलाइन पेपर का। बिजली बोर्ड की जेएससी, एएलएम, डीएम, एलडीसी आदि बड़ी-बड़ी भर्ती परीक्षाओं का सिलेबस तक परीक्षार्थियों को नहीं बताया गया, लेकिन उनमें 90 में से 90 अंक परीक्षार्थियों को मिले। सुरजेवाला ने कहा कि ग्राम सचिव से लेकर पुलिस कांस्टेबल तक एक के बाद एक पर्चा लीक हो रहा है। कम से कम 28 भर्तियों के पर्चे आउट होने के आरोप हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिफर है। सुरजेवाला ने मांग की कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को फौरन बर्खास्त करने के साथ ही सभी पेपर लीक मामलों की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई जांच हो। पारदर्शी और जवाबदेह नौकरी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करने के साथ ही उसे सार्वजनिक किया जाए।
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