मोदी सरकार में पिछले साल जोर शोर से शुरू किया गया इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) की हालात खस्ता है। हालात यह है कि कंपनी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा नहीं है। खबरों की मानें तो बैंक के पास कोई बड़ा बिजनेस नहीं है, जिससे बैंक अपनी आर्थिक तंगी दूर कर सके।
Published: 23 Oct 2019, 5:02 PM IST
डाक विभाग इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को चलाने में सक्षम नहीं है और बैंक में नई भर्तियों पर रोक लगी हुई है। नई भर्तियों पर रोक इसलिए कि बैंक के पैसों की कमी है। बता दें कि डाक विभाग 1 लाख रुपये ज्यादा नहीं जमा कर सकता और न ही किसी को लोन दे सकता। लिहाजा विभाग की ओर से आईपीपीबी ने गुहार लगाई है कि उसे एक स्मॉल फाइनेंस कंपनी के रूप में बदलकर उसका रिकैपिटलाइजेशन किया जाए। ताकि वो एक लाख रुपए से अधिक के डिपोजिट स्वीकार करने के बाद लोन भी दे सके। बैंक ने उम्मीद जताई है कि आरबीआई अगले साल तक उनकी मांग स्मॉल फाइनेंस बैंक को मंजूरी दे देगी।
Published: 23 Oct 2019, 5:02 PM IST
गौरतलब है कि पेमेंट बैंक को शुरू करने के लिए केवल तकनीक पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसके अलावा कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों पर 250 करोड़ रुपये का खर्च हुआ था। इस पेमेंट बैंक की शुरुआत रघुराम राजन ने की थी। यह उनका प्रयोग था, जिसमें कुछ ऐसे बैंक बनाए गए थे जो किसी को लोन नहीं देंगे। इसके अलावा खातों में केवल एक लाख रुपये तक ही जमा हो सकेंगे। लेकिन अब कंपनी के पास पैसों की कमी है, जिसके वजह से कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत हो रही है।
Published: 23 Oct 2019, 5:02 PM IST
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Published: 23 Oct 2019, 5:02 PM IST