केंद्र की मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार रोधी कानून लागू नहीं करने और किसानों की पीड़ा का हल नहीं करने का आरोप लगा रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे बुधवार से अपने गांव रालेगण सिद्धी में आमरण अनशन पर बैठेंगे। इसका एलान करते हुए मंगलवार को अन्ना हजारे ने कहा कि वह कल सुबह 10 बजे से अपने गांव रालेगण सिद्धि में अनशन पर बैठने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरा यह आन्दोलन किसी व्यक्ति, पक्ष, पार्टी के खिलाफ नहीं है। समाज और देश की भलाई के लिए मैं बार-बार आन्दोलन करता आया हूं और यह आन्दोलन भी उसी प्रकार का है।”
इससे पहले अन्ना हजारे ने 22 जनवरी को एक प्रेस कांफ्रेंस कर अपने आमरण अनशन का ऐलान किया था। प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार के राफेल डील पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था कि वह 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख हड़ताल करेंगे और सरकार द्वारा मांगें पूरी होने तक इसे जारी रखेंगे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद लोकपाल कानून को लागू नहीं करने पर मोदी सरकार की निंदा करते हुए कहा था कि देश पर तानाशाही लागू होने का खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर लोकपाल लागू हो गया होता तो राफेल जैसा घोटाला नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि उनके पास राफेल से जुड़े कई कागजात हैं। उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा था, “मुझे यह बात समझ नहीं आती कि समझौते से एक महीने पहले बनी किसी कंपनी को सौदे में सहयोगी कैसे बनाया गया।”
मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा था कि सरकार ने लिखित में कहा था कि वह लोकपाल कानून पारित करेगी और किसानों को पेंशन के साथ ही डेढ गुना अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य देगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। हजारे ने कहा कि किसी संवैधानिक संस्था का आदेश लागू नहीं करना देश को लोकतंत्र से तानाशाही की ओर ले जाता है और यह सरकार भी ऐसा ही कर रही है।
साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से रालेगण सिद्धि में जुटने की बजाय अपने-अपने शहरों में भूख हड़ताल करने को भी कहा था। अन्ना हजारे के इस आन्दोलन को राष्ट्रीय किसान महापंचायत ने भी समर्थन देने का ऐलान करते हुए कहा कि देशभर के किसान संगठन भूख हड़ताल में शामिल होंगे।
बता दें कि लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना हजारे की यह तीसरी भूख हड़ताल होगी। सबसे पहले वह कई सिविल सोसायटी समूहों के साथ अप्रैल 2011 में पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। उसके बाद पिछले साल मार्च में भी अन्ना हजारे और उनके समर्थकों ने लोकपाल कानून लागू करने की मांग को लेकर एक सप्ताह भूख हड़ताल की थी।
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