ओमिक्रॉन के बढ़ते डर के बीच केंद्र ने बूस्टर खुराक की आवश्यकता का निर्धारण करने के लिए ऐसे 3,000 व्यक्तियों पर अध्ययन (स्टडी) शुरू किया है, जिन्होंने कोविड के टीके की दोनों खुराक प्राप्त कर ली है। अध्ययन जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) द्वारा आयोजित किया जाएगा। जिन प्रतिभागियों को पहले ही कोविड टीकों की दोनों खुराकें मिल चुकी हैं, उनके प्रतिरक्षा स्तर पर प्रभाव को निर्धारित करने के लिए उन्हें बूस्टर खुराक दी जाएगी। इस अध्ययन में भारत में इस्तेमाल होने वाले तीनों टीकों - कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक वी को कवर करने की उम्मीद है।
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एक सूत्र के अनुसार, अध्ययन में 40 वर्ष से अधिक आयु के लोग, 40 वर्ष से कम आयु के लोग, टीकाकरण से पहले कोविड-19 से संक्रमित लोगों के साथ ही अन्य लोग भी शामिल होंगे। सूत्र ने कहा कि अध्ययन में शामिल अस्पताल भारत में बूस्टर खुराक की आवश्यकता पर विश्लेषण के साथ-साथ रक्त के नमूनों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
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भारत में ओमिक्रॉन के मामलों में प्रतिदिन वृद्धि के बीच, कई संस्थानों द्वारा बूस्टर खुराक की आवश्यकता पर आवाज उठाई गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने पहले कहा था कि भारत में बूस्टर डोज पर फैसला वैज्ञानिक आंकड़ों और विश्लेषण के आधार पर लिया जाएगा। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की जनवरी के पहले सप्ताह में बैठक होने की उम्मीद है।
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