मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी और केंद्र सरकार की अकर्मण्यता के खिलाफ लाया गया विपक्षी गठबंधन INDIA का अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में विपक्ष की गैर मौजूदगी में गिर गया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए विपक्ष पर हमले किए, अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और पूर्ववर्ती सरकारों के कामकाज का जिक्र करते रहे। इससे नाराज विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट किया। इसके बाद भी प्रधानमंत्री लगातार बोलते रहे और अंतत: विपक्ष की मौजूदगी के बिना ही प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया।
दरअसल गुरुवार को लोकसभा ने सत्ता पक्ष की तरफ से जो दृश्य देखा वह न सिर्फ लोकतंत्र बल्कि संसदीय मर्यादाओं और परंपराओं का अपमान ही कहा जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर में तीन महीने से अधिक समय से जारी हिंसा और जातीय संघर्ष रोकने में नाकाम रही मणिपुर की बीजेपी सरकार और केंद्र सरकार को लेकर लाया गया था।
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इस अविश्वास प्रस्ताव को पेश करते हुए कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने मुख्य रूप से तीन सवाल उठाए थे। वे तीन सवाल इस प्रकार थे:
आखिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर का दौरा क्यों नहीं कर रहे हैं और न जाने की जिद पर क्यों अड़े हैं?
मणिपुर की घटनाओं पर इतने लंबे समय तक चुप्पी क्यों साधे रखी गई?
हिंसा और संघर्ष रोकने में नाकाम रहने के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री को उनके पद से क्यों नहीं हटाया गया।
लेकिन इन तीनों सवालों में से किसी का भी जवाब न तो गृहमंत्री ने बुधवार को दिया और न ही दो घंटे से अधिक समय के अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के आखिरी दिन जब प्रधानमंत्री ने भी मणिपुर के विषय पर अपने भाषण के पहले डेढ़ तक एक शब्द भी नहीं बोला तो विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया।
वॉकआउट के बाद लोकसभा के बाहर कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि इससे साबित हो गया है कि मौजूदा सरकार की मणिपुर को इंसाफ दिलाने में कोई रुचि नहीं है।
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वहीं जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने भी कहा कि, "प्रधानमंत्री ने जिस तरह का भाषण लोकसभा में दिया उससे साफ है कि वे नर्वस हैं और हताशा में बोल रहे हैं। नया गठबंधन बनने की घबराहट उनके शब्दों से साफ नजर आ रही है। उन्होंने मणिपुर जैसे गंभीर विषय पर कुछ नहीं बोला जबकि वह राज्य बीती 3 मई से जल रहा है।"
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शिरोमणि अकाली दल ने भी विपक्षी गठबंधन INDIA के साथ सदन से वॉकआउट किया। अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि, "मुझे भी वॉकआउट करना पड़ा क्योंकि, वह नारा भले ही लगाते रहें कि सबका साथ, सबका विकास, लेकिन अगर वे मणिपुर की महिलाओं को इंसाफ नहीं दे सकते तो कौन सा विका। अगर उन्हें मणिपुर की जरा भी चिंता है तो वे इंसाफ दिलाएं।"
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आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी लोकसभा में प्रधानमंत्री के भाषण पर निराशा जताई। उन्होंने कहा कि, "हमें लगा था कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर पर कुछ गंभीर बात कहेंगे, लेकिन हमें जो सुनने को मिला वह था टिप्पणियां, चुटकुले, व्हाट्सऐप जैसी बातें...प्रधानमंत्री से ऐसी कतई उम्मीद नहीं थी।"
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समाजवादी पार्टी की सांसद डिम्पल यादव ने भी पीएम को भाषण पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, "अविश्वास प्रस्ताव लाने का कारण था कि वहां महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है, उनके साथ बलात्कार हो रहा है, बच्चे मारे जा रहे हैं, और तमाम हिंसक घटनाएं हो रही हैं,लेकिन प्रधानमंत्री ने इस सबके बारे में कुछ नहीं कहा, इसीलिए विपक्ष ने सदन से वॉकआउट किया।"
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