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बिहार में अजब गजब हालात! बारिश से कई जिलों में बाढ़, तो कई जिलों में बारिश के लिए तरसे किसान

मौसम वैज्ञानिक आशीष बताते हैं कि बिहार के 16 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है जबकि किशनगंज, अररिया, सुपौल ऐसे जिले हैं जहां सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए गए हैं।

फोटो: Getty Images
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बिहार में कई क्षेत्रों में हुई बारिश के कारण जहां कई नदियां उफान पर हैं और कई क्षेत्रों में बाढ की स्थिति उत्पन्न हो गई है वहीं कई क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हुई है, जिससे धान की खेती पर असर पड़ने की संभावना है। वैसे, बिहार में बाढ़ का कारण नेपाल में हुई बारिश को भी माना जाता है। कृषि विभाग की मानें तो पिछले सप्ताह राज्य में बारिश हुई है, लेकिन इतनी अच्छी भी बारिश नहीं हुई है, खेतों को धान की रोपनी के लायक तैयार किया जा सके। मौसम विभाग की मानें तो राज्य में अब तक 500 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन अभी आधे से भी कम बारिश दर्ज की गई है। बारिश नहीं होने के कारण धान रोपाई भी सही ढंग से शुरू नहीं हो पाई है।

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बताया जाता है कि कुछ इलाकों में सिंचाई के अन्य साधनों के जरिए धान की रोपनी का कार्य प्रारंभ किया गया है।

मौसम विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि बिहार में इस साल प्री मानसून बारिश नहीं के बराबर हुई थी, जिस कारण अधिकांश हिस्सों में खेत में नमी नहीं आ पाई। इससे धान के बिचडे भी समय पर किसान खेतों में नहीं डाल सके।

मौसम वैज्ञानिक आशीष बताते हैं कि बिहार के 16 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है जबकि किशनगंज, अररिया, सुपौल ऐसे जिले हैं जहां सामान्य से अधिक बारिश दर्ज किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगले एक सप्ताह में कुछ जिलों में सामान्य बारिश की संभावना है।

इधर, कृषि विभाग के मुताबिक इस साल बिहार में 34 लाख 69 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 36 हजार 718 हेक्टेयर में बिचडे लगाए गए हैं। बताया जाता है कि इसमें से 190 गांवों के 22 हजार एकड़ से ज्यादा की भूमि में जलवायु अनुकूल कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।

कृषि विभाग के एक अधिकारी बताते हैं कि धान के बिचडे एक पखवारे में रोपने की स्थिति में आ जाएंगें। इससे पहले रोपनी के लिए खेत भी तैयार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी वैसी स्थिति खराब नहीं है। धान की रोपनी के लिए अभी समय है।

इधर, जल संसाधन विभाग के मुताबिक राज्य के कई इलाकों में बाढ की स्थिति बनी हुई है। राज्य की प्रमुख नदियों में कोसी, कमला बलान और महानंदा सोमवार को भी कुछ स्थानों पर खतरे के निशान से उपर बह रही है। कोसी जहां बसुआ और बलतारा में खतरे के निशान से उपर बह रही है वहीं कमला बलान झंझारपुर रेल पुल तथा महानंदा ढेंगराघाट में लाल निशान के उपर बह रही है।

धान की खेती बारिश पर आधारित होती है, इसलिए ज्यादातर किसान बारिश का इंतजार कर रहे है। बारिश के कम होने के कारण धान की कई किस्मों के उत्पादन पर असर पड़ेगा। वैसी किस्म पर अधिक असर पडेगा, जिसकी बुआई पहले की जाती है।

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