जर्मनी के प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के संगठन, जर्मन बुक ट्रेड ने भारतीय अर्थशास्त्री और दार्शनिक अमर्त्य सेन को 2020 के शांति पुरस्कार के लिए चुना है। जर्मन बुक ट्रेड के बोर्ड ने ट्विटर पर अपने संदेश में कहा है कि प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को साल 2020 का यह जर्मन पुरस्कार "सामाजिक न्याय के सवाल पर उनके कई दशक लंबे काम के लिए" दिया जा रहा है। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में नोबेल पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
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जर्मन बुक ट्रेड के बोर्ड ने सेन के काम को ‘पहले के मुकाबले अब और भी ज्यादा प्रासंगिक’ बताया। बोर्ड का मानना है कि आज की तारीख में दुनिया भर में सामाजिक असमानताओं से उभरे अन्याय को लेकर संघर्ष कहीं ज्यादा अहम मुद्दा बन गया है। आमतौर पर यह पुरस्कार समारोह हर साल फ्रैंकफर्ट बुक फेयर के समापन पर होता आया है। इस साल इस समारोह के 18 अक्टूबर को फ्रैंकफर्ट में होने की उम्मीद है, जिसका सीधा प्रसारण भी किया जाएगा।
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अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर, 1933 को पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में हुआ था। 1940 के दशक में भारत में चल रहे आजादी के आंदोलनों के साये में उनका बचपन बीता। 1943 में बंगाल का अकाल और 1947 में भारत की आजादी के समय हिंदू-मुसलमानों के बीच खूनी संघर्ष और दंगों के गवाह रहने वाले सेन ने 1959 में कोलकाता के ही प्रेसीडेंसी कालेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री ली।
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इसके बाद उन्होंने लंदन के ट्रिनिटी कालेज से पीएचडी किया और 1960 के दशक से ही विश्व भर के तमाम बड़े शिक्षण संस्थानों में पढ़ाते आए हैं। साल 2004 से वह अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र और दर्शन की शिक्षा दे रहे हैं। सेन ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा दी और समाज कल्याण और विकास के कई पहलुओं पर अनेक किताबें लिखीं। उन्होंने गरीबी और भुखमरी जैसे विषयों पर काफी गंभीरता से लिखा है।
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साल 1950 से ही हर साल जर्मन बुक ट्रेड का शांति पुरस्कार दिया जाता रहा है। इसमें उपाधि के अलावा विजेता को 25,000 यूरो (यानि करीब 21 लाख रूपये) का नकद पुरस्कार भी दिया जाता है। इसका लक्ष्य उन हस्तियों को सम्मानित करना है, जो साहित्य, विज्ञान और कला के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट काम से शांति के विचारों को सच करने में बड़ा योगदान देते हों। पिछले साल यह पुस्कार ब्राजील के मशहूर फोटोग्राफर और फोटो पत्रकार सेबास्तियाओ सालगादो को दिया गया था। उससे पहले 2017 में कनाडा की मशहूर लेखिका मार्गेट एटवुड को भी यह पुरस्कार दिया जा चुका है।
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