उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजधानी लखनऊ में जगह-जगह ऐसे होर्डिंग लगाए हैं जिनमें उन लोगों के नाम पते फोटो सहित दिए गए हैं जिन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध हुए प्रदर्शन किया था। यूपी की बीजेपी सरकार ने इन लोगों को प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए वसूली का नोटिस भेजा है। लेकिन इस मामले का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खुद ही संज्ञान लेते सख्त रवैया अपनाया है और सरकार को तुरंत इन होर्डिंग्स को हटाने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने शनिवार और रविवार को सुनवाई की और आज इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा।
हाई कोर्ट ने कहा रविवार को हुई सुनवाई में कहा कि, “रविवार दोपहर तीन बजे तक सभी होर्डिंग्स हटा दी जाएं और अदालत को इस बारे में सूचित किया जाए।“ हाई कोर्ट ने सरकार के अधिकारियों से कहा कि उम्मीद है आपको सदबुद्धि आएगी और होर्डिंग्स को तुरंत हटा दिया जाएगा। इसके बाद अदालत ने फ़ैसला सुरक्षित रख लिया।
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इससे पहले शनिवार को मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि ‘किस क़ानून के तहत ये होर्डिंग्स लगाई गई हैं?’ हाई कोर्ट ने रविवार को छुट्टी के बावजूद मामले की सुनवाई जारी रखते हुए योगी सरकार के अधिकारियों को हाजिर रहने को कहा था। अधिकारियों ने हाई कोर्ट को बताने की कोशिश की कि ऐसा करने पर कोई रोक नहीं है। इस पर कोर्ट की ओर से कहा गया कि अदालत ने बहुत सी चीजें रोकने का आदेश नहीं पारित किया है। राज्य सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वकीलों और अधिकारियों मे कोर्ट के आदेश के बाद खलबली मच गई है। हाई कोर्ट का आदेश जारी होते ही बड़ी संख्या में लखनऊ नगर निगम के कर्मचारियों को छुट्टी के दिन तलब कर लिया गया।
इन होर्डिंग्स में लोगों को हिंसा के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे वसूली करने की बात लिखी गई है। इन होर्डिंग्स में में प्रदेश में आईजी रहे एस.आर. दारापुरी सामाजिक कार्यकर्ता व रंगकर्मी दीपक कबीर, जाने माने शिया उलेमा मौलाना सैफ अब्बास व कांग्रेस नेता सदफ़ ज़फ़र के भी फ़ोटो हैं। एस.आर. दारापुरी को यूपी पुलिस ने नज़रबंद कर दिया है। अदालत दारापुरी, सदफ़ ज़फ़र व दीपक कबीर को ज़मानत दे चुकी है और पुलिस उनके ख़िलाफ़ हिंसा में शामिल होने का कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर सकी थी।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस मामले में योगी सरकार को घेरा है। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, ‘यूपी की बीजेपी सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं। उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो। आपकी जवाबदेही तय होगी।’
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