सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था श्री अकाल तख्त साहिब ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे मुस्लिम समूहों को अपना समर्थन दने का फैसला किया है। आईएएनएस के अनुसार शनिवार को अकाल तख्त साहिब के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि अकाल तख्त के प्रमुख जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने अमृतसर में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख जफरुल इस्लाम खान के नेतृत्व वाले एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और समर्थन देने का आश्वासन दिया।
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जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने मुलाकात करने वाले मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल से कहा कि अल्पसंख्यकों में असुरक्षा और डर की भावना है और ऐसे समय में सिख उत्पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होने के लिए बाध्य हैं। उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर मुस्लिम और अन्य समूहों के साथ खड़े होने को लेकर सिखों का शुक्रिया भी अदा किया। खबर के अनुसार तख्त के प्रमुख ने कहा कि अन्य मुस्लिम समूहों की तरफ से भी उनसे समर्थन देने का अनुरोध किया गया है।
इस बीच शिरोमणी अकाली दल (एसएडी) के सुप्रीमो और पांच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल ने भी दो दिन पहले कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि जो लोग केंद्र और राज्य में सत्ता में हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश का संचालन संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक आचार के हिसाब से किया जाना चाहिए।
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अमृतसर के पास ही एक रैली को संबोधित करते हुए बादल ने देश के सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “धर्मनिरपेक्षता के पवित्र सिद्धांतों से छेड़छाड़ सिर्फ हमारे देश को कमजोर करेगी। सत्ता में बैठे लोगों को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र के रूप में भारत की रक्षा, संरक्षण और सुरक्षा के लिए एकजुट होकर अथक प्रयास करना चाहिए।”
इस दौरान बादल ने कहा कि यह विरासत हमें हमारे महान गुरुओं, संतों और ऋषियों से मिली है और हमें इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रखना होगा। बादल ने एक भावनात्मक प्रहार करते हुए कहा कि सरकार और राजनीतिक दलों को हिंदू-मुस्लिमों के साथ ही अन्य समुदायों को भी प्यार और समझ के साथ एकजुट करने की दिशा में काम करना चाहिए।
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बता दें कि केरल के बाद पंजाब ऐसा राज्य है, जिसने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ जनवरी में एक प्रस्ताव पारित किया था। कांग्रेस शासित सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया था, जिसका मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी ने भी समर्थन किया था। लेकिन राज्य में बीजेपी की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने प्रस्ताव का विरोध किया था। हालांकि उसने सीएए में मुसलमानों को शामिल नहीं किए जाने का विरोध किया। इस दौरान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा था कि सीएए के मुद्दे ने देश को झकझोर कर रख दिया है।
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