राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने कहा कि राफेल सौदे में मोदी सरकार देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने की दोषी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार लगातार कहती आ रही है कि उसने सस्ते में राफेल सौदा किया है, अगर यह बात सही है तो फिर उसने सिर्फ 36 विमान ही क्यों खरीदे?
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उन्होंने आगे कहा, “वायुसेना ने साल 2000 में 126 विमानों की जरुरत बताई थी, सीमावर्ती देशों की तरफ से खतरा साल 2000 के मुकाबले अब और बढ़ा है। मौजूदा स्थिति के अनुसार वायुसेना को जल्द से जल्द 126 से ज्यादा हवाई जहाजों की जरुरत है।”
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उन्होंने आगे कहा, “हमारी सरकार का कार्यकाल खत्म होने से पहले बातचीत लगभग पूरी हो चुकी थी। एनडीए के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने 10 अप्रैल, 2015 को 36 विमानों की एकतरफा खरीद की घोषणा की। अगर यूपीए का सौदा रद्द नहीं किया गया होता तो एचएएल को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के जरिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मिलती। उसे लड़ाकू विमानों के निर्माण का अनुभव होता। भारत ने ये मौका खो दिया।”
उन्होंने कहा कि यूपीए शासनकाल के दौरान, एचएएल मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी। मोदी सरकार के समय इतिहास में पहली बार एचएएल ने कई बैंकों से लगभग 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।
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राफेल डील में मोदी सरकार के मंत्रियों के बयान पर एके एंटनी ने सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा, “कानून मंत्री ने दावा किया कि नये समझौते में विमान यूपीए सौदे से 9 फीसदी सस्ता है। वित्त मंत्री ने कहा 20 फीसदी सस्ता है। भारतीय वायुसेना के अधिकारी ने बताया कि यह 40 फीसदी सस्ता है। अगर ये सस्ता है तो फिर उन्होंने 126 से अधिक विमान क्यों नहीं खरीदे? जब भारतीय वायुसेना ने 126 एयरक्राफ्ट की मांग की, तो फिर इनकी संख्या कम करके 36 करने के लिए प्रधानमंत्री को किसने अधिकृत किया?”
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