दिल्ली में सोमवार को वायु गुणवत्ता 'खतरनाक' स्तर पर पहुंच गई और सुबह सात बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 481 तक पहुंच गया, जिसे 'बेहद गंभीर' श्रेणी में रखा गया है।दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर कर्तव्य पथ तक इसका असर साफतौर पर देखने को मिल रहा है। इस खतरनाक स्तर का स्वास्थ्य पर चिंताजनक प्रभाव पड़ता है।
आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के विभिन्न स्तर दर्ज किए गए, नोएडा की हवा 384 एक्यूआई के साथ 'बहुत खराब' श्रेणी में थी, फरीदाबाद में 320 एक्यूआई को 'खराब' श्रेणी में दर्ज किया गया। जबकि गाजियाबाद और गुरुग्राम को क्रमशः 400 और 446 के एक्यूआई के साथ 'गंभीर' स्थितियों का सामना करना पड़ा।
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भारतीय मौसम विभाग ने घने कोहरे के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। कोहरे ने दृश्यता को काफी कम करके स्थिति को और भी खराब कर दिया है। कोहरे और जहरीली हवा के संयोजन ने उड़ान संचालन को बाधित कर दिया है, जिससे बड़े पैमाने पर देरी हो रही है।
प्रदूषण पर अंकुश लगाने के कड़े उपायों के बावजूद दिल्ली धुंध में डूबी हुई है। स्थानीय लोग शहर को "गैस चैंबर" के रूप में बता रहे है। स्थिति बद से बदतर हो गई है और नागरिकों को जहरीली हवा में सांस लेने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ठंडी हवा के आने से स्वास्थ्य संकट बढ़ गया है।
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पश्चिमी दिल्ली में सुबह की सैर करने वाले लोगों ने अपनी चिंताएं साझा करते हुए कहा, "यह कोहरा नहीं, प्रदूषण है। सांस लेना मुश्किल हो गया है, खासकर 50 साल से ऊपर के लोगों के लिए।"
इससे पहले रविवार को, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बिगड़ती हवा के बीच सोमवार से दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण-IV के तहत सभी कार्रवाइयां शुरू कर दी हैं।
यह निर्णय जीआरएपी के संचालन के लिए गठित उप-समिति द्वारा दिल्ली-एनसीआर में प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर बुलाई गई आपातकालीन बैठक के बाद लिया गया।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दैनिक एक्यूआई बुलेटिन के अनुसार, रविवार को दिल्ली का दैनिक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक शाम 4 बजे 441 रहा और शाम 7 बजे यह बढ़कर 457 हो गया।
सीपीसीबी के अनुसार, शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच को 'मध्यम', 201 से 300 के बीच को 'खराब', 301 से 400 के बीच को 'बहुत खराब', 401 से 450 के बीच को 'गंभीर' और 450 से ऊपर को 'गंभीर से अधिक' माना जाता है।
बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर दिल्ली सरकार ऑफलाइन कक्षाओं को पूरी तरह बंद करने, कार्यालयों में 50% उपस्थिति और अन्य आपातकालीन उपाय जैसे फैसले ले सकती है।
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