लॉकडाउन के दौरान पहले से ही मुसीबत में घिरे आम आदमी और नौकरीपेशा लोगों पर सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का एक आदेश वज्र की तरह गिरा है। एयर इंडिया ने अपने कर्मचारियों के वेतन भत्तों में 10 फीसदी की कटौती कर दी है। नेशनल हेरल्ड के मिले दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि 20 अप्रैल को ट्रांसफर किए गए मार्च माह के वेतन में 10 फीसदी कटौती कर दी गई है।
हालांकि एयरलाइन ने इस कटौती को ‘कोविड-19 पे कट’ का फैसला बताया है, लेकिन यह फैसला 17 मार्च एयर इंडिया के सीएमडी द्वारा लिया गया था और देशव्यापी लॉकडाउन के ऐलान से 4 दिन पहले ही 20 मार्च को आदेश जारी कर दिया गया।
नेशनल हेरल्ड को मिले आदेश की प्रति में लिखा है कि, “यह तय हुआ है कि केबिन क्रू को छोड़कर सभी कर्मचारियों के भत्तों में 10 फीसदी की कटौती की जा रही है, इनमें बेसिक पे, हाउस रेंट अलाउंस और वेरिएबल डीए शामिल नहीं है।”
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एयर इंडिया के इस फैसले से कर्मचारी बेहद गुस्से में हैं। कर्मचारियों ने इस सिलसिले में एयरलाइन प्रबंधन को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि अगर पत्र के दो दिन के अंदर काटे गए वेतन का भुगतान नहीं होता है तो वे कानूनी रास्ता अपनाएंगे। एयर इंडिया की
ऑल इंडिया सर्विस इंजीनियर्स एसोसिएशन के महासचवि एन एच कपूर ने कहा कि मैनेजमेंट ने कटौती के बारे में सूचित तो किया था लेकिन हम मानकर चल रहे थे कि वे इस फैसले पर विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस फैसला का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा, “एयर इंडिया का यह फैसला प्रधानमंत्री मोदी की अपील का भी उल्लंघन करता है।”
एसोसिएशन ने उद्योग नियमों और गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार ने सभी इम्पलॉयर से आपदा प्रबंधन कानून के तहत किसी भी वेतन कटौती न करने को कहा है, ऐसे में एयर इंडिया द्वारा यह फैसला करना एकतरफा है।
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एसोसिएशन के मुताबिक इस बारे में एयरलाइन ने किसी भी कर्मचारी की सहमति नहीं ली। अब जो पत्र भेजा गया है उसमें कहा गया है कि, “आपके आदेश के तहत भत्तों में 10 फीसदी की कटौती पूरी तरह गैरकानूनी और भारत सरकार के आदेशों के विरुद्ध है, साथ ही यह औद्योगिक विवाद कानून 1947 के नियम 9 ए का भी उल्लंघन है।”
इस मामले में सीपीआई समर्थित ऑल इंडिया ट्रेन यूनियन कांग्रेस (आइटक) नेता अमरजीत कौर ने वेतन कटौती को अन्याय कहते हुए आगाह किया है कि इस तरह के फैसले एयर इंडिया के निजीकरण का संकेत हैं।
नेशनल हेरल्ड से बातचीत में अमरजीत कौर ने कहा, “ऐसे वक्त में जब जीवनयापन मुश्किल भरहा है और आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और कमी हो गई है, इस तरह का फैसला गलत है। सरकार अब सभी सरकारी कर्मचारिंयों को एक दिन का वेतन अगले साल मार्च तक न लेने के लिए मजबूर कर रही है।”
उन्होंने कहा कि, “आखिर प्रधानमंत्री अपने उन कार्पोरेट मित्रों से क्यों नहीं दान लेते, जिनके लिए वह सरकार की नीतियां बदल देते हैं? आखिर बड़े-बड़े कार्पोरेट से एनपीए की राशि क्यों नहीं मांगते? ”
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