भारत में हरित क्रांति को हकीकत बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार सुबह चेन्नई में 98 वर्ष का आयु में निधन हो गया। उनका पूरा नाम डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन था। उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। जबकि उनकी पत्नी मीना की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। डॉ. स्वामीनाथन के भतीजे राजीव ने बताया कि उन्होंने आज सुबह 11.15 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 15 दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी।
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डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर पीएम मोदी, राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन समेत कई हस्तियों ने दुख जताया है। कांग्रेस ने शोक संदेश में कहा कि डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन, भारत की हरित क्रांति के प्रमुख वैज्ञानिक वास्तुकार थे, जिसने हमें खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया। हम उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हैं लेकिन हम यह भी जानते हैं कि वह वैज्ञानिकों और राष्ट्र निर्माण में रचनात्मक योगदान देने वालों की पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने डॉ. एमएस स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि भारत की कृषि में क्रांति लाने के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता ने हमें एक खाद्य अधिशेष देश में बदल दिया। हरित क्रांति के जनक के रूप में उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा। इस दुख की घड़ी में उनके प्रियजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं हैं।
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पद्म भूषण पुरस्कार विजेता डॉ. एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनकी स्कूली शिक्षा वहीं हुई। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां का नाम पार्वती थंगम्मल था। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और बाद में कृषि कॉलेज, कोयंबटूर (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की।
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हरित क्रांति की सफलता के लिए उन्होंने देश के दो कृषि मंत्रियों सी. सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर काम किया था। हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने देश में रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के अनुकूलन के माध्यम से चावल और गेहूं के उत्पादन में भारी वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्होंने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की। डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे और उन्होंने भारत में खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे उठाए थे।
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